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Yogi Sonu
Mahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, जैसे होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है. ©N S Yadav GoldMine #Hope {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे मन की गतिविधिया, जैसे होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगात
Krishna Rai
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है, तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके ईष्ट, देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं, उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्व है इसलिये काम को भी लोग पूजा मानते हैं। 🎆 जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है, एक तरीका होता है, उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि पूजा का क्षेत्र भी धर्म के क्षेत्र जितना ही व्यापक है। हर धर्म, हर क्षेत्र की संस्कृति के अनुसार ही वहां की पूजा विधियां भी होती हैं। मसलन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं, तो हिंदू भजन कीर्तन, मंत्रोच्चारण हवन आदि, सिख गुरु ग्रंथ साहब के सामने माथा टेकते हैं, तो ईसाई प्रार्थनाएं करते हैं। इस तरह हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट - देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं, इन्हें ही पूजा-पद्धतियां कहा जाता है। 🎆 जिस प्रकार गलत तरीके से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता, उसी प्रकार गलत विधि से की गई पूजा भी निष्फल होती है। जिस प्रकार वैज्ञानिक प्रयोगों में रसायनों का उचित मात्रा अथवा उचित मेल न किया जाये, तो वह दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं, उसी प्रकार गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत पूजा-पद्धति के प्रयोग से विपरीत प्रभाव भी पड़ते हैं, विशेषकर तंत्र विद्या में तो गलती की माफी नहीं ही मिलती। ये कर्म काण्ड है, और भगवान श्री कृष्ण की मन से की गई भक्ति सर्वोत्तम और सर्वोपरि तथा सर्वसश्रेष्ठ हैं।। ©N S Yadav GoldMine #bachpan {Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अप
N S Yadav GoldMine
BeHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार नहीं हो सकता। ©N S Yadav GoldMine #beHappy {Bolo Ji Radhey Radhey} हर मनुष्य के किसी भी साधन से अन्त:करण में समता आनी चाहिये, समता आये बिना कोई भी मनुष्य सर्वथा निर्विकार
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान् श्री कृष्ण ही हैं:- -ऐसा स्वीकार कर लेना सर्वश्रेष्ठ साधन है। ©N S Yadav GoldMine #GingerTea {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान् श्री कृष्ण ही हैं:- -ऐसा स्वीकार कर लेना सर्वश्रेष्ठ साधन है।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कोलाहल :- गीत अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा । घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।। अंतर्मन के कोलाहल को .... जीवन जीना सरल नहीं है , आती इसमें है बाधा । मूर्ख नही बन हे मानव तू , चला शरण जा अब राधा ।। जप कर उनकी माला तू भी , मुक्ति मार्ग को पायेगा । अंतर्मन के कोलाहल को.... तन मानव का जब भी लेकर , तू धरती पे आयेगा । फिर खुशियों की खातिर तू ही , अपने नियम बनायेगा ।। जिसकी माया में ही तू खुद , स्वयं उलझता जायेगा । अंतर्मन के कोलाहल को....... भाग-भाग कर सुख के साधन , दुख देकर जो लाता है ।। लेकिन पर भर सुख का अनुभव , कभी नहीं कर पाता है ।। अन्त समय में देख वही फिर , रह रह के पछतायेगा अन्तर्मन के कोलाहल को ..... रूप बदल कर मानव ही सुन , इस धरती पे आयेगा । लेकिन अपनी ही करनी को , ज्ञात न वह रख पायेगा ।। माया रूपी इस जीवन का , चाल नही रुक पायेगा । अन्तर्मन के कोलाहल को ... अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा । घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।। ३०/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कोलाहल :- गीत अंतर्मन के कोलाहल को , भाप न कोई पायेगा । घुट-घुट कर मर जायेगा तू, राह न जो अब पायेगा ।। अंतर्मन के कोलाहल को ....
Mukesh Poonia
76th Mahatma Gandhi Punyatithi मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन। . ©Mukesh Poonia #76thMahatmaGandhiPunyatithi मेरा धर्म #सत्य और #अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा #भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन.
Ravendra