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Khushboo Upadhyay
बारिश की बूंदों सी अलग, तुझे पहचान देगी हौसला तू रख खुद पे, कल यही तुझे काम देगी उठ के गिर, गिर के उठ हौसला तू रख, कल यही तुझे पहचान देगी आज लड़ ले तू चट्टानों से कल के यही तुझे, आराम देगी हार से कभी डरना ना तुम यही तुझे जीत की, अलग कायनात देगी ©Khushboo Upadhyay मजिल
Teju
आखोकी उलझन है उलझन की कशमकश....... मजिल की तलाश में भड़के हम दरबदर......... हातोमेही मजिल थी और धूड़ते बैठे उसे इधर उधर ....... #मजिल
Rajnish Sharma
अब तुम मिल ही गये हो,रहगुजर मे,तो आओ कोई बात करे तुम अपने ख्वाबो,मै अपनी ख्वाहिशो का कुछ तो हिसाब करे कंहा से जुदा हो गई तेरी राहे,कंहा बदल गयी मेरी मंजिल जवाब तो है नही कोई, खुद से ही आज ये सवाल करे मजिल
पूर्वार्थ
ये मंजिल तेरा घर कहाँ है, तुझे मैंने तलशा बड़ा है। अब जब तेरा पता लगा तो मालूम चला कि तू रहता दूर बड़ा है। मंजिल तेरे रस्तो में खूब काटे पड़े है, जो हमें चुभे बड़े है। फिर भी मेरे कदम कभी डगमगाए नहीं, हिम्मत कभी मैंने झुकाया नहीं। खूब कि कोशिश बड़ी दौड़ भी लगाई, पर तुझ तक पहुंच ना पाई। थक सी गई तो सोचा लौट जाती हूं फिर से घर को अपने। छोड़ देती हूं तुझसे मिलने के सपने। फिर जब पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि वापस जाने का रास्ता ख़ूब बड़ा है। और तू मुझसे बस कुछ ही दूर खड़ा है। ©purvarth #मजिल
Nabya dubey
चाँद को ढलने सितारो को निकलने के लिए मैं तो सुरज हु बुझगी भी जलने के लिए ये मंजिलो तुम भी आगे के तरफ़ बढ़ जाओ रास्ता कम है मेरे पाव को चलने के लिए ©Nabya dubey मजिल
kt
तुम्हे कसम है अब फुर्कते बया न करना! महोब्बत के चक्कर जिन्दगी तबाह न करना! बहुत खुशी की बात है मेरे लिये के तुम मंजिल चुन चुकी हो अब राहे बदलने की बिलकुल खता न करना! कनक तेलंग ये जनून बनाये रखो! ©kt #WinterEve #मजिल
collection off poem ( POETRY BOY)
सामने मंज़िल थी और, मैं उसे पा नहीं सका वो मोत से लड़ रही थी । ओर में उसके लिए तडप रहा था।। बस frk यह था वो हंसते हंसते सोयी में रोते हुऐ।। मजिल😫😫
Poetess sakshi Yadav
#FourLinePoetry थोड़ा रास्ता और छोड़ दो, टूटा नहीं हूँ अभी भी थोड़ा और तोड़ दो, मंजिल मिली नहीं है अभी चलो राह में अभी भी तन्हा छोड़ दो..... ©Sakshi yadav #मजिल ऐसी भी #fourlinepoetry