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AwadheshPSRathore_7773
ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर बारिशें हों तो भीग जाया कर काम ले कुछ हसीन होंठों से बातों बातों में मुस्कुराया कर दर्द हीरा है दर्द मोती है दर्द आँखों से मत बहाया कर चाँद ला कर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर धूप मायूस लौट जाती है कभी छत पे कपड़े सुखाने आया कर घर से बाहर निकल हवाओं में ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर कोई तस्वीर कोई अफ़साना कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर कौन कहता है दिल मिलाने को कम से कम हाथ तो मिलाया कर इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई हम न सोए रात थक कर सो गई। ©AwadheshPSRathore_7773 #Reindeer Bollywood के प्रसिद्ध लेखक डॉ.राही मासूम रजा की death anniversary पर मुझे यह नज़्म उनके एक चाहने वाले से प्राप्त हुई सोंचा आपको भे
Rohit
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Prashant Deep Srivastava
चाहत को अपनी कभी हम बयां नहीं करेंगे दिल की बात को कभी ज़ुबां से नहीं कहेंगे हम जानते हैं कि देखते हो चाहत तुम हमारी आंखों में पर अपनी चाहत की कभी हम नुमाइश नहीं करेंगे।। प्रसू ©Prashant Deep Srivastava #Soul #loveshayari #nojotohindi #NojotoFamily #prashantaryan written by PrashantAryan (प्रसू) आप सभी भाई बहनों से निवेदन है मेरी लिखी हुई ज
Kᷜrͬiͥsᷤhͪnᷠaͣ Kᷜaͣlᷝiͥkᷜ
और वो उम्र थी जब वो नज़्म मेरी जिंदगी में आई मैं नहीं जानता, नहीं जानता कि वो कहां से आई किसी हवा से या फिर किसी दरिया से, नहीं जानता कि कब और कहां, नहीं कलिक वहां कोई आवाज़ नहीं थी, ना ही खामोशी थी, मैं नहीं जनता कि मुझे क्या कहना चाहिए था, मैं उसका नाम नहीं ले पा रहा था, मैं अपनी आंखों से नहीं देख पा रहा था लेकिन एक बात तो थी कि मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे मेरी रूह के अंदर एक टूटा हुआ दिल एक प्यारी सी हवा में था -mera_awarapan ©Kᷜrͬiͥsᷤhͪnᷠaͣ Kᷜaͣlᷝiͥkᷜ #नज़्म और वो उम्र थी जब वो नज़्म मेरी जिंदगी में आई मैं नहीं जानता, नहीं जानता कि वो कहां से आई किसी हवा से या फिर किसी दरिया से, नहीं ज
हिमांशु Kulshreshtha
हम याद किया करेंगे यहाँ तुम वहाँ मुस्कुरा दिया करना है मोहब्बत मेरी एक नज़्म सी लिख दूँगा इधर मैं तुम उधर गुनगुना दिया करना ©हिमांशु Kulshreshtha एक नज़्म सी
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
के हिज्र ए जहन में बिखरी है तेरी यादें इस कदर, ये शेर,ये नज़्म,ये अशआर,ये गजल इस कदर//१ इनमे से कोई तो मेरी रू दाद को आ जाए,ये मंच, ये समात,ये एहबाब,ये महफिल इस कदर//२ तू आए तो सही तुझे हरफों में पिरोकर,तरन्नुम में पढ़ दूं, ये जुदाई,ये तड़प,ये गफलते गाफिल इस कदर//३ अब भी उस गाफिल के वस्ल को मुंतजिर है,ये आलुदा चश्म,ये अश्क,ये आह,ये इश्के विसाल इस कदर//४ "शमा"इश्क के मसीहा से रंजीदा है बहुत,की है अब तक ये आजिजी,ये इसरारी ये मिन्नते,मुसलसल इस कदर//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #landscape के हिज्र ए जहन में बिखरी है तेरी यादें इस कदर,ये शेर,ये नज़्म,ये अशआर,ये गजल इस कदर//१ इनमे से कोई तो मेरी रू दाद को आ जाए,ये म
प्रशांत की डायरी
प्रशांत की डायरी