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Manak desai
Pyare ji
Neena Andotra
Praveen Storyteller
घास बड़ी होती है तो आपस में दोस्त हो जाती है पेड़ बड़े होते हैं तो अकेले हो जाते हैं..... ©Praveen Storyteller #Journey घास बड़ी होती है तो आपस में दोस्त हो जाती है पेड़ बड़े होते हैं तो अकेले हो जाते हैं.....
Vandana Mishra
तजुर्बा कहता है हमारा जब anoop pandey. Anurag Dubey ji जैसे आर्टिस्ट विपिन जी पर वीडियो बना सकते हैं. तो इसमे अर्ज़ क्या है जो हमने चंद पंक्तियाँ पेश कर दी. विपिन जी के लिए. Follow करे एक दूसरे को like. Comments. Gifting करे. बोल देते हैं 😜 ये तो विपिन जी का बहुत पुराना add चल रहा है. अरे अर्ज़ क्या है इसमे. हर किसी की छाप अलग होती है. ऐसे ही विपिन जी की एक अलग छाप है यहाँ. तजुर्बा कहता है हमारा. चर्चा उसी की होती है. जिसमें काबिलियत होती है. नाकामयाब को तो कोई घास तक नहीं डालता.. तो अब चलिए विपिन जी अब बिना सोचे समझे मेरे इस पोस्ट पर likes. Comments. Gifting करने का सुनहरा मौका हाथ से न जाने दें. तो आइए अब आपका बर्षों का इंतजार खत्म. करते रहिए लगातार likes. Comments. Gifting की भरमार 😜😜😂 विपिन जी हरे कृष्णा 🙏🏻🌹🙏🏻 ©Vandana Mishra तजुर्बा कहता है हमारा. चर्चा उसी की होती है. जिसमें काबिलियत होती है. नाकामयाब को तो कोई घास तक नहीं डालता.... anurag Dubey ARTIST VIP. MI
अमिष एकता एकऩाथ सावंत
Nisheeth pandey
प्रेम की तलाश ************ मैं तलाशना छोड़ दिया हूं हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती महसूस हुआ करती थी मुझे पता रहता था -कहां हो तुम सुबह की सैर छोड़ दी क्योंकि घास के पत्तों पर ठहरी मोती सी झिलमिलाती ओस की बूंदों से तुम्हारी स्नेह जुड़ी थी .... दोपहर भी तुम्हारे तिलमिलाहट से कहाँ अछूता था -निरूद्देश्य भागती पिघलाती पसीने से लथपथ शरीर देखती तुम्हारी आखें सड़कों पर बहती गर्म हवाओं में कहीं दूर मृगमरीचिका और उसमें उलझना तुम्हें अच्छा लगता था शाम में तुम्हारा सूर्यास्त की लालिमा ओढ़ना तुम्हें कितना सकून देता था -लगता है सूर्य की अंतिम लालिमा के साथ साथ विलुप्ती में तुम भी -तुम्हारी उपस्थिति की संवेदना करवटें लेने लगती है । रात रात में अचानक चांद को निशीथ पहर निहारना या अचानक जागकर -जादुई चांदनी में या वर्षा की रिमझिम जल से छत पर ख़ुद को लबालब करना आर्तनाद टर्राते मेंढकों की जो तुम्हें लुभाती थी और अंधेरी काली रातों के सन्नाटे में ठंडी हवाँ का स्पर्श लेना मैं ढूंढना तलाशना हर जगह हर पल जहां कहीं भी तुम रहती थी कहां नहीं थी हर जगह थी तुम मगर अब थक सा गया हूं तुम्हारे भावनात्मक स्पर्श के भवँर में डूबते डूबते इसलिये अब मैं तलाशना छोड़ दिया हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती महसूस हुआ करती थी #निशीथ ©Nisheeth pandey #SunSet प्रेम की तलाश ************ मैं तलाशना छोड़ दिया हूं हर कहीं जहां भी तुम्हारी झलकियां मिलती