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Vaseem Akhthar
پُتلی اے چشم تک نا دیکھ سکا، کیا تھا درجہ اے لاثانی آنسو اے ندامت مے میں ڈوب مرا، دیکھ حیا اے عثمانی पुतली-ए-चश्म तक ना देख सका, क्या था दर्जा-ए-लासानी, आँसू-ए-नदामत में मैं डूब मरा, देख हया-ए-उस्मानी। पुतली-ए-चश्म= आंख का अंदर का हिस्सा लासानी= जिस की कोई मिसाल नहीं नदामत= शर्मिंदगी हज़रत उस्मान-ए-ग़नी (र आ) के बारे में एक कौल है की वो इत
Vaseem Akhthar
پُتلی اے چشم تک نا دیکھ سکا، کیا تھا درجہ اے لاثانی آنسو اے ندامت مے میں ڈوب مرا، دیکھ حیا اے عثمانی पुतली-ए-चश्म तक ना देख सका, क्या था दर्जा-ए-लासानी, आँसू-ए-नदामत में मैं डूब मरा, देख हया-ए-उस्मानी। पुतली-ए-चश्म= आंख का अंदर का हिस्सा लासानी= जिस की कोई मिसाल नहीं नदामत= शर्मिंदगी हज़रत उस्मान-ए-ग़नी (र आ) के बारे में एक कौल है की वो इत
हिंदीवाले
कैसा क्रूर भाग्य का चक्कर कैसा विकट समय का फेर कहलाते हम- बीकानेरी कभी न देखा- बीकानेर जन्मे ‘बीकानेर’ गाँव में है जो रेवाड़ी के पास पर हरियाणा के यारों ने कभी न हमको डाली घास हास्य-व्यंग्य के कवियों में लासानी समझे जाते हैं हरियाणवी पूत हैं- राजस्थानी समझे जाते हैं ~अल्हड़ बीकानेरी ©हिंदीवाले कैसा क्रूर भाग्य का चक्कर कैसा विकट समय का फेर कहलाते हम- बीकानेरी कभी न देखा- बीकानेर जन्मे ‘बीकानेर’ गाँव में है जो रेवाड़ी के पास पर हरि
Purohit Nishant
!! पुण्यतिथि स्मरण !! ©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में... 'साहित्य-वाचस्पति' गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' इन्होंने 'सनेही' उपनाम से कोमल भावनाओं की कविताएँ, 'त्रिशू
Arsh
सिंदूर का श्रृंगार लेख कैप्शन में पढ़ें सिंदूर का सौंदर्य इस बात को ठीक से समझने के लिए हमें सबसे पहले ये जानना आवश्यक होगा कि हिंदू "धर्म" के अनुसार प्रकृति के दो मूल तत्व, रज(D