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Poetry with Avdhesh Kanojia
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह
Poetry with Avdhesh Kanojia
यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि में स्वाहा हुए निर्दोष, मूक जीवों पर भी दुःख व्यक्त करने के लिए समय निकालो। हमारा दर्द ------------- प्रकृति के उस दावानल में प्राण हमारे निकले गए चीखे दर्द व भय से हम। समस्त दिशाओं में अग्नि का साम्राज्य था हमें हो रहा था दिग्भ्रम। कम्पायमान हुए हृदय जिधर भागे उधर अग्नि थी वन सम्पूर्ण था व्याप्त। श्वास हो रही थी अवरुद्ध अग्निसुत धूम्र से कुछ ऐसा था आपात। पर यदि प्राप्त हो अवकाश आपको जेएनयू मुद्दे से तो अब इस मुद्दे पर आओ। बहुत किए हैं तर्क वितर्क बोले पक्ष विपक्ष में #jnu #jungle #fire #जीवन #poem #poetry #life यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि म
Poetry with Avdhesh Kanojia
#jnu #jnu #सत्य #कविता #poem #poetry #life #जेएनयू के बुद्धूजीवियों को समर्पित संदेश जो बात बात पर गुंडागर्दी तुम करने लग जाते हो। क्या लगता
Ankit Raj
The Kashmir Files : असहाय और लाचारी का गर मुख होता तो शायद कश्मीरी पंडितो के जैसा होता...! खट्टी मीठी,, बिना सिर पैर की फिल्मों को जहां इस देश में 5000 से ज्या
Dr Jayanti Pandey
तुम कौन हो, यह सत्य जिस दिन समझ जाओगे खुद पर गर्व करोगे और अपनी मातृभूमि को शीश नवाओगे। स्वामी विवेकानंद जी से बेहतर यूथ आइकन कौन होगा! जेएनयू को बधाई.. #jayakikalamse #yqdidi #nationfirst
Aamir Qais AnZar
सच गुमानी में है के वो बिकेगा नहीं इस दौरान झूठ के पर्चे बट गए हजार Sach Gumaani mein hai ke wo bikega nahi Iss dauran, Jhhut ke parche batt gaye hazaar इल्तिजा है मेरी सबसे, इरादे अब तो उसके समझो मज़हब के नाम पर, बरसो से जो हमको बाटे जा रहा है Zulam ke Sare Hunar hum par yun Aajmaye Gaye...
सम्यक शिवादी
Poetry "हे ईश्वर अल्लाह तेरे जहाँ में कैसा ये हाहाकार मचा। मानवता की हत्या होती सड़कों पर कत्लेआम मचा।। इस धर्मवाद के अन्धेपन में देखो यह कैसा हाल हुआ।। दिल वालों की दिल्ली में नफरत का कैसा अंगार उठा।।" _@Aditya R Mishra read full poetry 👇👇 "हे ईश्वर अल्लाह तेरे जहाँ में कैसा ये हाहाकार मचा। मानवता की हत्या होती, सड़कों पर कत्लेआम मचा ।। इस धर्मवाद के अन्धेपन में देखो यह कैसा
Vineet Kumar Pathak
Poetry with Avdhesh Kanojia
यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि में स्वाहा हुए निर्दोष, मूक जीवों पर भी दुःख व्यक्त करने के लिए समय निकालो। हमारा दर्द ------------- प्रकृति के उस दावानल में प्राण हमारे निकले गए चीखे दर्द व भय से हम। समस्त दिशाओं में अग्नि का साम्राज्य था हमें हो रहा था दिग्भ्रम। कम्पायमान हुए हृदय जिधर भागे उधर अग्नि थी वन सम्पूर्ण था व्याप्त। श्वास हो रही थी अवरुद्ध अग्निसुत धूम्र से कुछ ऐसा था आपात। पर यदि प्राप्त हो अवकाश आपको जेएनयू मुद्दे से तो अब इस मुद्दे पर आओ। बहुत किए हैं तर्क वितर्क बोले पक्ष विपक्ष में अब हम पर भी दर्द दिखाओ। ✍️अवधेश कनौजिया© यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि में स्वाहा हुए निर्दोष, मूक जीवों पर भी दुःख व्