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Rabindra Kumar Ram
" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना , चुप क्यों हो ज़बाब दो ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना , चुप क्यों हो ज़बाब दो ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ."
Rabindra Kumar Ram
" यूं रातों का जागना कमाल का हैं , उसके बेखुदी का कुछ अंदाजा हो चला हैं , फुरकते हायात जाहिर हैं अपना , जाने कितनों को इस हाल में छोड़ा है तुमने . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " यूं रातों का जागना कमाल का हैं , उसके बेखुदी का कुछ अंदाजा हो चला हैं , फुरकते हायात जाहिर हैं अपना , जाने कितनों को इस हाल में छोड़ा है त
Rabindra Kumar Ram
" बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना , चुप क्यों हो ज़बाब दो ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ." --- रबिन्द्र राम— % & " बिखर रहे हैं सम्भाल लो ना , चुप क्यों हो ज़बाब दो ना , मेरे बेखुदी का जायजा लो जरा , इस ख्याल में और कौन सा ख्याल रखा जाये ."
Sonu Delhi
Sunita Bishnolia
ये आलम बेखुदी का है रात रोकर बिताई हैं, हमारे प्यार की बातें सबको गाकर बताई है, रात भर याद में तेरी सजाए साज सरगम के आधी गाकर बिताई है आधी रोकर बिताई है। सुनीता बिश्नोलिया ©® ये आलम बेखुदी का है रात रोकर बिताई हैं, हमारे प्यार की बातें सबको गाकर बताई है, रात भर याद में तेरी सजाए साज सरगम के आधी गाकर बिताई है आधी
Odysseus
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… धुऐं से चुभते हैं मरासिम खोकले, बेबस आंखें रात भर बहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… इल्म होता मेरी बेखुदी का उसे, क्यों ज़रूरी हर बात कहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… बयां ना कर खलिश ‘, दुनिया जो है वही रहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… MADMAN खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है| हमने लबों पे मुस्कुर
Odysseus
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मुझे ही सहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… धुऐं से चुभते हैं मरासिम खोकले, बेबस आंखें रात भर बहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… इल्म होता मेरी बेखुदी का उसे, क्यों ज़रूरी हर बात कहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… बयां ना कर खलिश ‘अंकुर’, दुनिया जो है वही रहनी है| हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है… Madman हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| खामोश ज़हन में कैद बेचैनी है, हमने लबों पे मुस्कुराहट पहनी है| मत करो ज़ाया अपने जज़्बात तुम, तकलीफ मेरी मु
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मैं कब का जा चूका हूँ मुझे आवाज़ ना दे, इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे| कोई भी सिरा खुला ना छोड़ फ़साने का, अंजाम की शक्ल में मुझे आगाज़ ना दे| इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे… मुझे गवारा हो गयी तुम्हारी ख़ामोशी, सवाल को सवाल रहने दे अब जवाब ना दे| इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे… इतना सब्र कहाँ से मिला तुझे हमनफस, उम्र भर पूछता रहा भले कोई जवाब ना दे| इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे… अपनी तनहाई से भी क्या पर्दा ‘अंकुर, इस सूनेपन को बेखुदी का नकाब ना दे| इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे… अंकुर की अनकही रचना। मैं कब का जा चूका हूँ मुझे आवाज़ ना दे, इन पथराई आँखों को अब ख्वाब ना दे| कोई भी सिरा खुला ना छोड़ फ़साने का, अंजाम की शक्ल में मुझे आगाज़ ना