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सूर्यप्रताप स्वतंत्र
New Year 2025 नए वर्ष में प्रेम से, ऐसे करो प्रवेश। सभी बुराई त्याग दो, गढो नया संदेश। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
#Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039;
read moreAsheesh Mishra
ज्ञान के भंडार राहुल बाबा #राहुलगांधी #पप्पू #मनोरंजन #नेता #netajilapeteme #संसद
read moreसुरेश अनजान
White दोहा: वादे किए प्रेम में, रहते किसको याद । जैसे नेता भूलते , वादे चुनाव बाद ।। ©सुरेश अनजान #love_shayari Srashti kakodiya.. अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' Anjna Agrawal Anjali Maurya Adv. saras shivanujaa
#love_shayari Srashti kakodiya.. अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' Anjna Agrawal Anjali Maurya Adv. saras shivanujaa
read moreJansurajharnaut
राहुल गांधी को इतना घमंड है कि राष्ट्रपति जी का अभिवादन तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जनजातीय समाज से आती हैं, महिला हैं और राहुल गां
read moreRajendra Chauhan Kanuja
राहुल की एंट्री #reelsinstagram #trendingreels #Reels #foryou #foryoupage #reelsindia #reelsvideo #Trending #viralreels #viral
read moregudiya
Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya #NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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