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RUPESH Kr SINHA
White ऊंची इमारत बनाने से अच्छा है🌇 ऊंची इम(अच्छे ज्ञान) में रत रहे .........🖋️🖊️ ©RUPESH Kr SINHA #ऊंची इमारत
#ऊंची इमारत
read moreTARUN KUMAR VIMAL
White #Windsor_Grand 1-C, Sector-126 Noidaविंडसर ग्रैंड नोएडा के सेक्टर 126 में स्थित है। इमारत में जी+25 मंजिलें हैं,जिसमें 500 कारों की इन-हाउस कार पार्क और 135 मीटर ऊंची प्रतिष्ठित मेगा संरचना है ©TARUN KUMAR VIMAL #Thinking #Windsor_Grand 1-C, Sector-126 Noidaविंडसर ग्रैंड नोएडा के सेक्टर 126 में स्थित है। इमारत में जी+25 मंजिलें हैं,जिसमें 500 कारों क
#Thinking #Windsor_Grand 1-C, Sector-126 Noidaविंडसर ग्रैंड नोएडा के सेक्टर 126 में स्थित है। इमारत में जी+25 मंजिलें हैं,जिसमें 500 कारों क
read morevksrivastav
White ऊंची सोंच वाले ऊंची बातें नही करते ©vksrivastav ऊंची सोंच वाले #Quotes #Life #vksrivastav
ऊंची सोंच वाले Quotes Life vksrivastav
read moredilkibaatwithamit
White तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें ©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया। दरिया में कश्ती डूब गई, पतवार मेरी टूट गई। मैं खुद से ही तो रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। ख़्वाब सजाए आँखों ने, एक पल में सब टूट गया। सफ़र पर निकला जब, खुद ही रास्ता भटक गया। रुका मैं अभिलाषा में, मुश्किल दौर से गुज़र गया। माया के भंवर में फँसकर, भरी ज्येष्ठा में सर्द सा सिहर गया। एक महल बनाया रेत सा, जो पल भर में ढह गया। ख़्वाबों की दीवारें टूटीं, और दिल भी कहीं बह गया। साथ किसी का छूट गया, दर्द सा दिल में बैठ गया। मैं खुद से ही तो रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। दिल मासूम फिर से टूट गया, मंज़िल मेरी फिर छूट गई। महबूब मुझसे रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। मैं खुद से ही तो रूठ गया। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया।
#sad_qoute एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया।
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला इश्क़ चाहते हो। सुना है इश्क़ ने बहुत दीवारें गिराई हैं, इश्क़ के सरहदों को मिटाना चाहते हो। कितने फना हुए इश्क़ के इम्तिहान में, दर्द बग़ैर इश्क़ का गुलज़ार चाहते हो। बिन आवाज़ दिए बुला रहे हो उसको, बग़ैर जज़्बात इश्क़ का जुनून चाहते हो। इश्क़ के खेल में लोग छोड़ देते हैं पसीने, बग़ैर बहाए खून इश्क़ का हार चाहते हो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला
#love_shayari इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला
read moreनवनीत ठाकुर
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
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