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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

Shayari तूने मुझसे*बुगज जोरो का पाल रखा है जबसे, मेरी*शोहरत को खुदा ने संभाल रखा है तबसे/१ *ईर्ष्या*प्रसिद्धि मेरी बुलंदी का चर्चा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता

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दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।

पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१


मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं । सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१ नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द #शायरी

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लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१
नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  दो अर्ज़  मेरी भी।
सुना हमने उसी दर  से  सभी  पाते  निवाले  हैं ।।२
यही    हमको    निकालेंगे   कभी   बेटे  बडे़  होकर ।
अभी  जिनके  लिए  हमने  यहाँ  छोडे़  निवाले  हैं ।।३
नहीं रोने दिया  उनको  पिया  खुद आँख का पानी ।
दिखाते आँख अब  वो हैं कि हम  उनके हवाले हैं ।।४
किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को 
वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५
यहाँ तुमसे  भला  सुंदर  बताओ और क्या जग में ।
तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे   शिवाले  हैं ।।६
डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की ।
तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७
प्रखर भाता  नहीं बर्गर  उन्हें भाता  नहीं पिज्जा ।
घरों  में  रोटियों   के  जिनके  पड़ते रोज़  लाले  हैं ।।९

                       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।

सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१


नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

बाद मुद्दत के आ गए एक किस्से में,न मिला कुछ भी जिन्हें बाप के *विरसे में//१ *विरासत छा गया सन्नाटा बंटवारें के किस्से में,जब कहा मा #Live #Trending #writersofindia #gazal #reel #shamawritesBebaak

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ #शायरी

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White ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२
हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से ।
जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३
न था अपना कोई उसका मगर फिर भी ।
उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४
सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता ।
तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५
बताती हार है अब उन महाशय की ।
उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६
नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों ।
जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७
सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली ।
जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८
लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे ।
न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९
किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे ।
खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#ishq तेरे बग़ैर भी जी जीके मर रही हूं मैं,बिछडके तुझ से,मैं खुद में ही मर रही हूं मैं/१ वो एक हूक जो उठती हैं मेरे सीने मैं,वो कौन #Live #writersofindia #nojotohindi #viral #shamawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#ramnavmi *जम्हूरियत में फसादे चिंगारी नहीं चलती *अवाम में ऐसी सरकारे नहीं चलती१ *जनतंत्र*जनता सुलतान सल्तनत में *उल्फत का पैगाम दीजिए, इसम #Live #writersofindia #nojotohindi #ShsmawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Couple जो मेरे साथ में *बुगज रखे हुए सोगवार हो,लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१ *ईर्ष्या*शोकाकुल *अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद से #shamawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Thinking बहुत सुकून में हूं जबसे*मुनाफिको का साथ छोड़ दिया,सो मैंने झूठों की *शिरकतों का साथ छोड़ दिया//१ *धोखेबाज*साझेदारी उम्मीद #Live #nojotohindi #viralvideos #shauari #trendingvideos #shamawritesBebaak #writersorindia

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#SAD शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इसलिए *पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१* लज्जित मैं यक़ीं*मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और #Live #nojotohindi #lifr #shamawritesBebaak

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