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Balkrishan patel
कल्पना कल्पना का भंवर लिए हर कोई चल रहा यहां । दो बूंद आंसू के क्या गिरा दिए जो हम मोहब्बत से रूठ गए। अरे ! मोहब्बत में तो पराए भी अपने हो जाते हैं। जरुरी नहीं कि हर बार हार ही मिलेगी हो सकता है जीत कुछ पल के बाद नसीब में हो। कल्पना का सफर
Amit Singhal "Aseemit"
जब भी ये मौसम आते हैं सावन और बसंत, कवि की कल्पना का यौवन होता शिखर पर। कवि के मन में कल्पनाओं का न होता अंत, कविता स्वयं बनकर आती कवि के अधर पर। ©Amit Singhal "Aseemit" #कल्पना #का #यौवन
Rajani Nirav
थी वो एक शख्स के तस्सवुर से अब वो रानाई-ए-ख्याल कहा तस्सवुर - विचार रानाई-ए-ख्याल - कल्पना का श्रृंगार
नरेश_के_अल्फाज
मेरी कल्पना का अक्स है तू जिसे अपने साथ चाहूं वो शख्स है तू बंद आंखों से तो क्या खुली आंखों से भी पास है मेरे तू मेरी यादों का एक सहारा है तू मेरे उजड़े ख्वाबों का किनारा है तू मेरे एहसासों का एक बहाना है तू मेरी कल्पना का अक्स है तू जिसे अपने साथ चाहूं वो शख्स है तू कभी न छोड़े जो साथ ऐसा साया तू रातों की नींद का सपना है तू मेरी आंखों का झरना है तू मेरी नजरों का धोखा है तू मैं कभी न भूलो ऐसा आसमां है तू जो कभी खत्म ना हो ऐसा रास्ता है तू जिससे मैं मिलना चाहू ऐसा वास्ता है तू जिसे मैं देखना चाहूं ऐसी तस्वीर है तू कभी न भूलूँ ऐसी उम्मीद है तू मेरी यादों के पन्ने है तू जिसे अपने साथ चाहू वो शख्स है तू मेरी कल्पना का अक्स है तू मेरी कल्पना का अक्स है तू जिसे अपने साथ चाहूं वह शख्स है तू
vishal
उनकी आँखों का सुकून तो देखो, तड़पता देखते हैं तो और इतराते हैं आज तो सलीके से आदाब कीजिये, सुना है ईद पर सब गले से लगाते हैं आजमाना मेरी कोई ख़्वाहिश मेरा शौक नहीं, पर सुना है जो भरोसा करते हैं वही धोखा खाते हैं अब की मिलना तो खल्वत में मिलना हमसे, मेरे दो चार गम हैं जो हमसे मिलने रोज़ आते हैं अब मेरा साकी भी मुझे पहचान लेता है, कहता हैं मियां क्या गम हैं अब तो आप रोज़ आते हैं उस से बोलना अब दवा की नहीं दुआ की जरुरत है, ये मेरे गम ए आंसू मुझे अब डुबोकर कर मारना चाहते हैं मेरे दश्त ए तसव्वुर मे कोई दरिया भी तो नहीं "विशाल", फिर ये इश्क़ ए तिश्नगी के मारे क्यों चले आते हैं #दर्द #मुहब्बत #गज़ल #नज़म ✒ #विशाल_रस्तोगी (दश्त ए तसव्वुर= कल्पना का रेगिस्तान) (इश्क़ ए तिश्नगी= इश्क़ की प्यास) (खल्वत = जल्दबाजी)
Nammy S
मेरे अंदर कोई और मैं रहता है एक ही जिस्म में दो जहाँ रहता है बाहर से चुप अंदर कोलाहल करता है मेरे अंदर कोई और मैं रहता है। दुःख साथ में ही विचरण करता है आवरण खुशमिजाजी का सदैव रहता है मेरे अंदर कोई और मैं रहता है। बहुत द्वंद बहुत घमासान करता है जिस्म को अंदर ही खोखला करता है मेरे अंदर कोई और मैं रहता है। हारता भी है पर भागता नही कहीं ये जिस्म दोनों को ढोये रहता है मेरे अंदर कोई और मैं रहता है। #yqdidi #yqquotes #yqtales #trendingnow #jism #life #love #nammy27 खुद के अंदर ही एक शक़्स रहता है एक सच्चाई का ...एक कल्पना का...देखो जीत
Vandna Sood Topa
#बुत संगतराश ने क्या खूब बुत तराशा है हाथों से कैद कर इक मिट्टी का जिस्म उभारा है ना जज़्बात हैं ना अल्फ़ाज़ हैं बस मौनता ही इस कल्पना का सहारा