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Rajni Vijay singla
Shree Ram रामराजा आत्म नगरी के है अमृत पावन गगरी के है विश्वास आस्था डगरी के हर आत्म तेरी दास है राम दिल के बड़े पास है राम शुभ मुहूर्त प्राण प्रतिष्ठा का शुभ अवसर श्रद्धा निष्ठा का हर शै पे राम की छाप है गजब है शक्ति राम में हैं अपार भक्ति राम मे कण कण में गूंजे राम है हरमन को सूझे राम है रजनी विजय सिंगला ©Rajni Vijay singla हरमन को सूझे राम
Khushi Kandu
का लिखुंगी कान्हा कोई बात नहीं तेरे जाने का तुझे हर्ष है, हमें तो आघात सही। अब कैसी दिन है और कैसी रात, किसे खबर है यह और किसको पता यहां सारे बात। अब तो बस चारों ओर तेरी प्यास अब तो ना किसी को कोई सुध,अब यमुना भी उदास। गौ ना घास खाए वो भी निरंतर अश्रु बहाए, विलाप कर रही लता-पताए नदियां-झरने भी झड़ी-सूखी जाए व्याकुल हैं तेरे बिन, सारे वासी सबको है तेरी वही याद सताए देख रहे तेरी राह, हर मन कृष्णा गीत के गुण गाए। ©Khushi Kandu #हरमनकृष्णागीतकेगुणगाए #कृष्णा #प्रेम #khushithought
Sumit Kumar
जुल्फें बिखरी थी उसकी, हेलमेट भी लगा रखा था, आज उसके बल्ले ने अलग ग़दर मचा रखा था.. ©Sumit Kumar स्मृति और हरमनप्रीत दोनों के लिये..
Cricket For you
abhi mishra
ए खुदा अपने अदालत में मुझको पेश कर किए हैं हमने लाखों गुनाह इसको अपनी इंसाफ की डायरी में सेव कर अब ना तारीख चाहिए ना इंसाफ मिले मौत की सजा तो कुछ ऐसा केस कर ©abhi mishra खुदा इंसाफ कर मेरे गुनाहों को तो माफ कर हरमन जिले के कांटे तो साफ कर एक बताते हुए सांप का #RAMADAAN
saurabh
कोई जीवन लिखे धरा पर माया को आकाश समझ कर हमने हरमन पड़ा सदा ही मधुसूदन का वास समझकर हमने जिसको गले लगाया मन अंतस के पास समझकर हमने सारे भेद बताएं जिसको अपना खास समझकर उसने अब किरदार बदल कर फिर से नई कहानी लिख दी दो भागों में बांटा मुझको पल पल में हैरानी लिख दी एक पलड़े में लिखी कहानी बोला तुम तो सत्य सिंधु हो परिभाषाएं बदल बदल कर बोला तुम तो दीनबंधु हो शीतलता है जिसकी उपमा उस उपमा से बंधे इंदु हो प्रणय जहां से प्यास बुझाई उस सरिता से जुड़े सिंधु हो उसने जीवन की पंक्ति में उपमा वही पुरानी लिख दी दो भागों में बांटा मुझको पल पल में हैरानी लिख दी एक सिरे पर लिखा निरर्थक हो जैसी खुद की छाया हो पंक्ति बढ़ाकर लिखा जो विनिमय ना हो एक ऐसी माया हो जिसमें भाव पनप न पाएं माटी की ऐसी काया हो शब्दों से ऐसे लगता है जैसे अहम् स्वयं आया हो मेरे हाथों में विधिना ने कैसी अजब कहानी लिख दी दो भागों में बांटा मुझको पल पल में हैरानी लिख दी कोई जीवन लिखे धरा पर माया को आकाश समझ कर हमने हरमन पड़ा सदा ही मधुसूदन का वास समझकर हमने जिसको गले लगाया मन अंतस के पास समझकर हमने सारे भेद
Divyanshu Pathak
हां तू बेटी है ...... तुझसे ही ये दुनियां होती है आदि अनादि प्रगल्भा में तू ही सबका अस्तित्व होती है ! सबका व्यक्तित्व बोती है। थोड़ा बड़ा जरुर है पर पूरा पढ़े..!! घर में पैदा होती है जब बेटी तो उसकी मुस्कुराहट चीख चीख कर कहती है खुश हो जरा...... हां, मैं बेटी हूं..