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R K
गुनगुना कर, गीत प्यार के यूं दूर ना जाया कर तेरी मौजूदगी ही, सप्त रागनी सी है ©R K # सप्त रागनी
Anand Kumar Ashodhiya
देश की बेटी म्हारी बेटी तू किसके आगे हाथ जोड़ती, रो रो कर रही चीख पुकार लँगड़ा लूला पुलिस महकमा, आंधी बहरी है सरकार न्या मांगणिये बाड़े में बंद, आज भ्र्ष्टाचारी राज करैं जाँच कमेटी बिठा देइ न्या, करते करते आज करैं चौगिरदे कै पुलिस बिठया दी, ना क्याहे की ल्ह्याज करैं बब्बर शेर भी बेबस होग्ये, कित लग चिड़िया बाज मरैं देश की शान बढ़ावण आले, आज हो रहये सैं लाचार बिका हुआ दलाल मीडिया, चुपका सा तमाम होग्या आँख पे पट्टी मुँह पे टेप, सरकारी गुलाम होग्या यौन शोषण का दोषी आज, मीडिया का राम होग्या दबंगई कर नेता बणग्या, न्यू समझे भगवान होग्या भाण और बेटी लगी दाँव पे, यो कौरव का दरबार कौम की बेटी इज्जत खातिर, रो रो कै नै डकराती जिगरे आले सत पुरुष ही, सच के बणैं हिमाती स्वाभिमान, ज़मीर की खातिर, हो वज्जर कैसी छाती देश की बेटी, म्हारी धरोहर, इज्जत ही तो कहलाती ना जाति, ना प्रभुत्व भरो, इज्जत की हुंकार दागी नेता, भ्रष्ट प्रशासन, ना होती काररवाई न्या पावण की खातिर बेटी, भरती फिरें तवाई खरदूषण लाईलाज बीमारी, करणी पड़ै दवाई आनन्द शाहपुर उठ खड़या हो, क्यूँकर करै समाई दो हर्फी है माँग हमारी, हो खरदूषण गिरफ्तार रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया@कॉपीराइट ©Anand Kumar Ashodhiya देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी
मधु
सुहानी सुबह की रवानगीई में... ओस की बूंदे आई नई उमंग की ताजगी में... उठिऐ और देखिऐ इन दिलकश नजारो को पवन भी शोर करती है जैसे बह रही हो सपनो की रागनी दिल में.... 🎸❤✍ मधु ©मधु सपनो की रागनी दिल में ❤✍ #MorningTea @bharat nawrange
Anand Kumar Ashodhiya
चुनावी रागणी - शतुरमुर्ग* विकास का मुद्दा ठावण आळी, वा पार्टी पड़कै सो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली शाल दुशाले काम्बळ काळे, मनै धर लिए तह लगाकै देशी इंग्लिश की पेटी भी, मनै धर ली गिणा गिणाकै अरै वोट कितै और चोट कितै, मैं आग्या बटण दबाकै नाच नाच कै ढोल बजाया, मनै पंगु सरकार बणाकै इब शतुरमुर्ग की तरिया मनै, रेत में नाड़ गडो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली देख देख कै नोटां की तह, मनै मन की लौ बुझा दी अरै बेगैरत की ढाळ आत्मा, देकै लोभ सुवा दी ले ले कै नै नोट करारे, मनै बोगस वोट घला दी ज़मीर बेचकै सोदा पाड़या, बोटां की झड़ी लगा दी इब पछता कै के फायदा जब, पाप में टाँग डबो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली कदे धर्म पै कदे जात पै, कदे माणस ऊपर हार गया कदे नामा कदे जड़ का सामा, वोट के ऊपर वार गया कदे इंग्लिश कदे घर की काढी, गळ के नीचै तार गया झूठ कपट बेईमानी का नश्तर, सबके भीतर पार गया सच की घीटी पै पांह धरकै, मनै पाप की गठड़ी ढो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली सही समय पै सही माणस नै, चुणने में हम फेल रहे गुरु पालेराम की बोट की खातिर, बड़े बड़े पापड़ बेल रहे अपणी बात बणावण खातिर, झूठ बवण्डर पेल रहे पाप की लकड़ी, सच की गिंडु, टोरम टोरा खेल रहे "आनन्द शाहपुर" चेत खड़या हो, क्यूँ नाश की राही टोह ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली कॉपीरा ©Anand Kumar Ashodhiya #हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग