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Er Prince Kumar
अलविदा 2020 """""""""""""""""""""""""""""""""""""""" यूं कह तो 2020 विष ही बन गया जो पाया था वह सब तो लुट ही गया हमने अपना कारोबार , नौकरी खोया इसी बहाने परिवार का स्नेह पाया मार्च से कोरोना का आतंक है छाया इस दहशत की अजीब है माया सारे इंसान को कहां से कहां पहुंचाया हमने स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण पाया ऐसा महामारी कोरोना दहशत का साया हमने खुद को ही अपने घरों में कैद पाया हमने दिखावे की जिंदगी जो थी वो खोया कम साधनों में जिंदगी गुजारना सिखाया सबके काम धंधे तो बंद पड़ा पाया किसानों पर तानाशाही का बुलंदी छाया जितना पढ़ा - लिखा सब तो हार गया पर हां हमने बेरोजगारी का दर्द जरूर पाया रेल ,तेल ,खेल सब तो करीब बिक ही गया हमने अपने संविधान को टूटते हुए पाया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सोते पाया हां मैं स्वस्थ लोकतंत्र का नागरिक कहलाया ✍ अभियंता प्रिंस कुमार सोनदीपी, बेगूसराय(बिहार) ©prince Kumar #२०२०
miss seemai
ये साल ऐसा रहा की बता नहीं सकते अपनी मर्जी से कहीं जा नहीं सकते आशा है अब लोटे ना ये क्योंकि हम इसको और ज्यादा अब सह नहीं सकते,,,😂 ©miss seemai #२०२०
Gumnaam shayar
आज से एक सफर शुरू होता है, २०२० का आशा है कि जो ख्वाहिशे २०१९ में अधुरी रह गई वो इस साल पूरी हो जाऐ #२०२०
Rahul Singh Bhardwaj
हसरतें हमारी चाहें जैसी भी हो. इसबार किसी के झांसे में ना आयेंगे.. करेंगे वही जो हमारे दिल को भायेंगे... #राहुल सिंह भारद्वाज #२०२०
मैत्रेय
#भरती समुद्रावरून येणारा अंगाशी सलगी करणारा सुखद वारा, पार्श्वभूमीला समुद्राची बेधुंद करणारी गाज आणि सोबतीला तो, ती त्याला अशी काही बिलगली होती जसं काही एकच कुडी होती ती. सगळं कसं स्वप्नवत वाटत होतं तिला.ती आणि तो बराच काळ असेच चालत राहिले, निःशब्द, बराच काळ चालल्यावर ती भानावर आली तर तो नव्हताच कुठेही. म्हणून तिने मागे वळून पाहिलं तर तिच्या एकटीच्याच पाऊलखुणा उमटल्या होत्या तिथल्या रेतीत. आज बरोबर सहा महिने झाले त्याला जाऊन.तिच्या डोळ्यातली लाट हलकेच जाऊन धडकली किनाऱ्याला आणि समुद्राला भरती आली. मैत्रेय(अंबादास) #भरती
Suvarna Gogawale
सरत्या वर्षाला निरोप.... २०२० काय म्हणाव या वर्षाला? "आठवणीतल वर्ष की... वर्षातल्या आठवणी? कोरोनाचा काळ की... या काळातला कोरोना! आठवाव तरी कस अन् विसराव तरी कस? जगाभोवती कोरोनाच वलय जसं!" सौ. गोगावले सुवर्णा ©Suvarna Gogawale २०२० #LostInNature
PANKAJ KUMAR SINHA
(नववर्ष) कुछ मीठे, कुछ खट्टे , कुछ तीखे,कुछ उलझे,कुछ सुलझा सा बिता साल । कुछ सच्चे, कुछ झुठे,कुछ कच्चे, कुछ पक्के,कुछ अधपके सा बिता साल।। कुछ पुरे, कुछ अधुरे,कुछ तुम्हारे, कुछ हमारे, कुछ न्यारे सा बिता साल । कुछ मिले,कुछ छूटे, कुछ भूले, कुछ बिसरे,कुछ जीवन्त सा बिता साल । कुछ रंगमंच , कुछ सत्य , कुछ असत्य , कुछ भुत और भविष्य सा बिता साल । कुछ शीर्षक ,कुछ छंद, कुछ कविता, कुछ प्रश्न ? , कुछ उत्तर सा बिता साल। कुछ निष्कर्ष, कुछ उत्कर्ष कुछ सार्थक, कुछ व्यापक,कुछ आस्तिक तो कुछ नास्तिक सा बिता साल। कुछ जन्म, कुछ मुक्ति, कुछ युक्ति, कुछ आदि, कुछ अंत सा बिता साल। कुछ प्यार, कुछ इनकार, कुछ अधिकार, कुछ अंधकार, कुछ प्रकाश सा बिता साल। कुछ रीति, कुछ प्रीति, कुछ नीति, कुछ इति, कुछ आपबिती सा बिता साल । कुछ हास्य, कुछ व्यंग्य, कुछ काव्य, कुछ नेपथ्य, कुछ रहस्य सा बिता साल। कुछ कहा, कुछ अनकहा, कुछ राग, कुछ द्वेष, कुछ आभाव , कुछ भाव सा बिता साल। शत् शत् नमन,कोटी कोटी वंदन,सहस्त्र सहस्त्र अभिनंदन,नव वर्ष २०२० प्रकृति और परमेश्वर।। नववर्ष २०२०
कृष्णा
साल भर साल कुछ ना कुछ छिनता रहा, पर जाते जाते बहुत कुछ दे गया ये साल.... ©Krishna २०२० #bye2020