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||स्वयं लेखन||
जब-जब चिंताओं से घिरा है ये मेरा मन, महादेव! सदा ही किया है आपने उनका हरण। ©||स्वयं लेखन|| जब-जब चिंताओं से घिरा है ये मेरा मन, महादेव! सदा ही किया है आपने उनका हरण। #Life #Life_experience #Shiva #shivshambhu #mahadev
kavi pawan Sen
मुक्तक एक मारीक्ष ने स्वयं को हिरण कर लिया राम जी ने धनुष का वरण कर लिया राम जी क्या गए कुटिया छोड़ कर एक साधू ने सीता हरण कर लिया ©kavi pawan Sen #NojotoRamleela सीता हरण कर लिया Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Chanchal Chaturvedi Dr Namrata Jain ANOOP PANDEY मनीष कुमार पाटीदार
Jupiter and its moon
पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य सब मान बचाने ना आए। वीर हुए कायरतम अबला आन बचाने ना आए।। केश पकड़ जब रजस्वला स्त्री पर अत्याचार हुआ। स्वजन बंधू सब मूक बने पंचाली संग व्यभिचार हुआ।। उपहास हुआ हर नारी का सब न्याय धर्म पर वार हुआ। निर्लज्ज सभा के भागी हर एक जन का तय संहार हुआ।। थे विकर्ण जैसे भी जिसने पाप सभा में सत्य कहे। विदुर सरीखे नितिकार सब सभा त्याग कर चले गए।। धृतराष्ट्र सम अंधा राजा दूर्योधन सा अत्याचारी। था पाखंड धर्म का या फिर थी पांडव की लाचारी।। जब जब वस्त्र हरण को कोई दुशासन आगे आए। तव आन मान अधिकारों पर जब जब अंधेरा छा जाए।। हे स्त्री! तुमको निज रक्षा के हेतु स्वयं जलना होगा। चंडी काली बनकर निशदिन महिषा मर्दन करना होगा। तुम जननी सब जग की भर्ता निज शंका का त्याग करो। वस्त्र हरण को बढ़ते हर दुशासन का तुम नाश करो।। कृष्ण नहीं आते हर युग में अबला आन बचाने को। सबला बन तुम स्वयं लड़ो निज आन और मान बचाने को।। ©Jupiter and its moon कृष्ण नहीं आते हर युग में! पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके घटते परिधानों को , देख सदा हूँ चुप होता । मन ही मन चिंतन करता अब , वस्त्र हरण दोष न होता ।। अजब-अजब सी कृतियाँ करके , पहनें जैसे आभूषण । परिधानों को समझ रहे हैं ...... लाज शर्म की बातें करना , व्यर्थ हुआ है इस युग में । मैं हूँ सुंदर मैं हूँ सुंदर , होड़ लगी अब तो जग में ।। सच कहने वाले अब सारे , है उनके लिए विभीषण । परिधानों को समझ रहें हैं.... आज समाज दिशा है बदली , या बदले हैं अब हम ही । शायद खोटी शिक्षा अपनी , जो आज बुरे है हम ही ।। मान लिया हमने गलती यह , देकर इनको अब भाषण । परिधानों को समझ रहें हैं ... परिधानों को समझ रहें हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। २१/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत अब एक शीश बहु रावण है , मैं तुमको यह बतलाता हूँ । हे राम तुम्हारे आवाहन , पर अपना शीश झुकाता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है .... अब हर घर में रावण बैठा , जो खुद को राम बताता है । रावण की प्रतिमा आज जला , वह राम अंश कहलाता है ।। मन का उसके हम का दीपक , तम आज जगत फैलाता है । आकर तारो पुन्य धरा को , मैं तुमको पुनः बुलाता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है ...... इक नारी के हरण मात्र से ,क्या राख हुई लंका सारी । इसमें भी तो भेद छुपा था , जान रही सीता महतारी ।। आज हरण तो गली-गली है , क्या अत्य की न भरी बखारी । पूछ रहा है भक्त तुम्हारा , अब सोंच-सोच पछताता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है ..... यह विजय पर्व है खुशियों का , मैं कैसे आज मनाता हूँ । सहमा-सहमा डर-गर कर मैं, फिर घर अपने ही जाता हूँ ।। मानव ही मानव का दुश्मन , अब कैसा ये युग आया है । जीव-जन्तु आहार बने है , प्रकृति मौन है बतलाता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है ..... नारी ही नारी को देखा , निर्वस्त्र आज कर देती है । अपने कुल का मान कहाँ अब , हर नारी देखो करती है ।। कैसा ज्ञान कोष है रघुवर , मैं सुनकर बिचलित रहता हूँ । आप कहो हो मेरे रघुवर , आवाज़ तुम्हें मैं देता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है .. अब एक शीश बहु रावण है , मैं तुमको यह बतलाता हूँ । हे राम तुम्हारे आवाहन , पर अपना शीश झुकाता हूँ ।। २४/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत अब एक शीश बहु रावण है , मैं तुमको यह बतलाता हूँ । हे राम तुम्हारे आवाहन , पर अपना शीश झुकाता हूँ ।। अब एक शीश बहु रावण है ....
चारण गोविन्द
#जय_श्री_राम हम बिना परिणाम के पूर्ण रण करेंगे नहीं, जीत पाए नहीं जो वो हरण करेंगे नहीं, हम 'राम' और 'कृष्ण' की परम्पराओं से हैं, 'रावणों' की तरह हम आचरण करेंगे नहीं। #चारण_गोविन्द हम बिना परिणाम के पूर्ण रण करेंगे नहीं, जीत पाए नहीं जो वो हरण करेंगे नहीं, हम 'राम' और 'कृष्ण' की परम्पराओं से हैं, 'रावणों' की तरह हम
चारण गोविन्द
#जय_श्री_राम हम बिना परिणाम के पूर्ण रण करेंगे नहीं, जीत पाए नहीं जो वो हरण करेंगे नहीं, हम 'राम' और 'कृष्ण' की परम्पराओं से हैं, 'रावणों' की तरह हम आचरण करेंगे नहीं। #चारण_गोविन्द #जय_श्री_राम "हम बिना परिणाम के पूर्ण रण करेंगे नहीं जीत पाए नहीं जो वो हरण करेंगे नहीं, हम राम और कृष्ण की परम्पराओं से हैं, रावणों
Ashutosh Mishra
विधन हरण मंगल करण गणनायक गणराज्य प्रथम निमंत्रण आप को पूरण कीजिए काज। सभी प्रकार के बाधाओं के हरने वाले, सभी का मंगल करने वाले भगवान गणेश सर्व प्रथम मैं आपको आमंत्रित करता हूं। आप मेरे सभी कार्य बाधा रहित पूर्ण करें, ऐसी मेरी आपसे प्रार्थना है 🙏🙏 आप सभी मेरे Nojoto परिवार के भाई-बहनों को श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी स्वस्थ रहें मस्त रहें और खुश रहें ऐसी मेरी प्रार्थना श्री गणेश भगवान से है अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #GaneshChaturthi विधन हरण मंगल करण गणनायक गणराज प्रथम निमंत्रण आपको पूर्ण कीजिए काज। सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण करने वाले, सभी का मंगल
narendra bhakuni