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theABHAYSINGH_BIPIN

#सदैवचलनाहोगा Rakesh Srivastava happydil Internet Jockey Anupriya Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) मन का दुश्मन बनना होगा

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मन का दुश्मन बनना होगा

मन का दुश्मन बनना होगा,
खुद से भी तो लड़ना होगा।
यह छल न जाए जीवन को,
सदैव ध्यान रखना होगा।

बुझ न जाए प्रगति की मशाल,
खुद आग बनकर जलना होगा।
बनो सारथी खुद के रथ का,
अर्जुन भी तुम्हें बनाना होगा।

जीवन की रणभूमि से,
सदैव चौकस रहना होगा।
कोई हित-मित्र नहीं है पीछे,
अकेले ही आगे बढ़ना होगा।

निराशा की घटाएँ घेरें,
तब खुद में जोश भरना होगा।
इम्तिहान लेगी रणभूमि जब,
समशिरों पर चलना होगा।

प्रहरी हो तुम जीवन के,
पूरी रात तुम्हें जागना होगा।
इम्तिहान नहीं, युद्ध समझो इसे,
प्रत्येक व्यूह से तुम्हें लड़ना होगा।

काबू में रखना अवचेतन को,
संघर्ष में दृढ़ रहना होगा।
ठान सको जब ख़ुद से ही रण,
ख़ुद पर प्रथम विजयी पाना होगा।

विचलित ना होना इस रण में,
भावों का नाश करना होगा।
भेद गए जब व्यूह को तुम,
अंतिम क्षण तक तुम्हें लड़ना होगा।

संकल्प लो, उद्घोष करो,
निर्भीक बाणों की वर्षा करना होगा।
तोड़ सको तुम द्वार सभी,
अभिमन्यु तुमको बनना होगा।

©theABHAYSINGH_BIPIN #सदैवचलनाहोगा
     
 Rakesh Srivastava  happydil  Internet Jockey  Anupriya  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) 

मन का दुश्मन बनना होगा

अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3uxwXGlCs #भारतीय #पत्रकारिता #हिंदी #जनता #सरकार #अंधभक्त #चाटुकार #Pinterest Instag

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"जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा- चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3uxwXGlCs

#भारतीय #पत्रकारिता #हिंदी  #जनता #सरकार #अंधभक्त #चाटुकार #Pinterest #Instag

अदनासा-

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