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✍ अमितेश निषाद
जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा बिना जियान होता जवनिया कबहूँ न सोचले रहनी हथवा छोड़इब की एहू तरे बसा के प्यार के दुनिया सारा जोगावल सपना माटी कई दिहल बनल बनावल सारा मोहबत के कहनिया एक बात याद रखिह मरला के बाद भी कनवो गीला शिकवा ना रही तोहसे सँवरिया ✍️ अमितेश निषाद (सुमित ) १७/०४/२०१९ #NojotoQuote जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा
जबसे तू छोड़ गइल सँवरिया आवेल याद तू ही दिन रतिया बरस बरस नयना हो गइले भादो कवना परदेश बस गइल सँवरिया ना ही रात कटे ना होला बिहान हो तोहरा
read moreसंगीत कुमार
फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित कर रही रह रह के दम घोट रही न जाने कब जायेगी इस जगत को छोड़ेंगी जग दूषित कर मंडरा रही प्राण मानव का ले रही बस एक बात माने मास्क पहनना कभी न भुले अपना हो या पराया दूरी बना के रहें बिन मतलब न घर से निकले कोई बलवान अपने को न समझे सिर्फ एतिहात को बरते हयात अनमोल है इसे तो समझे माहुर फैल गया जग डुब रहा फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही ©संगीत कुमार वर्णबाल #फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित
#फिर कब्र से निकली रक्तपिपासनी गीत गाती झूम रही मानव का खून पी रही तरह तरह का व्याधि पसार रही रंग रूप बदल रही गली गली घुम रही वात को दूषित
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🌹कटती नही ये जिंदगी 🌹 कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना। घर कारागार सा बना, जीवन वेदना से भरा।। न डोलते इधर, न बोलते उधर। कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना।। जीवन सनाटा से भरा, कष्ट चहुँदिस पसरा । जीवन वियावान सा बना, जग शोक से लिपटा।। जीवन क्लेश से भरा, अंधकार चहुँदिस पसरा । कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना।। कैसा हैं ये कहर, माहुर से भरा। वात दुर्गध से भरा, जीवन स्तब्ध सा बना।। कार्य अड़चन से भरा, जीवन अवरोध से लिपटा। कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना।। प्रभा धूमिल सा बना, तिमिर चहुँदिस पसरा । हयात मर्ज से लिपटा, जीवन अंधकार से भरा।। समीर जहर से मिला, जीवन संताप से भरा। कटती नही ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना।। (संगीत कुमार /जबलपुर ) ✒️स्वरचित कविता 🙏🙏 🌹कटती नही ये जिंदगी 🌹 कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना। घर कारागार सा बना, जीवन वेदना से भरा।। न डोलते इधर, न बोलते उधर। कटती नहीं
🌹कटती नही ये जिंदगी 🌹 कटती नहीं ये ज़िन्दगी,जीवन अचल सा बना। घर कारागार सा बना, जीवन वेदना से भरा।। न डोलते इधर, न बोलते उधर। कटती नहीं
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