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Salim Saha
देखते हैं ये जिंदगी हमें कब तक भटकाएगी किसी दिन तो कोशिशें हमारी भी रंग लाएंगी, उस रोज हम आराम से बैठेंगे अपने घर में और कामयाबी बहार दरवाजा खटखटाएगी। ©Salim Saha #Sawera कामयाबीन आहार दरवाजाकडे#
Rameshkumar Mehra Mehra
बेहद छोटी सी लिस्ट..... वनाई है अपनी ख्बाहिशो की....! पहले पेज पर तुम्हे ही लिखा है...!! और आखरी में भी तेरा ज़िक्र है... ©Rameshkumar Mehra Mehra # बेहद छोटी सी लिस्ट बनाई है, अपनी ख्बाहिशो की, पहले पेज पर तुम्हे लिखा, आखिरी मे भी तेरा ही जिक्र है.......💐
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} चित की समता का नाम ही समाधि है, ऐसा समभाव युक्त योगी, जो अपने सब कर्मो को कर्तव्य कर्म करता है, वही श्री नारायण मे निवास करता है।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_shayri {Bolo Ji Radhey Radhey} चित की समता का नाम ही समाधि है, ऐसा समभाव युक्त योगी, जो अपने सब कर्मो को कर्तव्य कर्म करता है, वही
Newss online
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healthdoj
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव को दो ज्ञान ।। प्रकृति मोह सबमें रहे , चाहूँ मैं वरदान । तेरी माया के बिना , यह जग है अज्ञान ।। अब तो नंगे नाँच से , जगत रहा पहचान । अंग-अंग रखकर खुला , कहता ऊँची शान ।। बदन सभी ले ढाँक हम , वसन मिलें दो चार । वह भी फैशन में छिने , हमसे सब अधिकार ।। मातु-पिता अब दूर हैं , सास-ससुर अब पास । भैय्या-भाभी कुछ नहीं , साला-साली आस ।। जीवन के हर मोड़ पर , दिया तुम्हीं ने घात । अब आकर तुम कर रहे , मुझसे प्यारी बात ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संतो की वाणी सुनो , सब जन करके ध्यान । हो जायेगा नष्ट सब , सारा तम अभिमान ।। जीवों को आहार मत , बनने दो भगवान । बरसाओ इन पर कृपा , मानव