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roshan
ज़रा धीरो बोलो लोग हमे ही देख रहे हैं अभी कोई राज न खोलो shhhhh...... ज़रा धीरे बोलें सब बया कर रही हैं आँखे तेरी कोई गुस्ताखी तुमसे हुई ज़रूर हैं, अब ये पर्दा हटा दो , आज सच-सच बोलो shhhh..... ©Roshan Baitha ज़रा धीरे बोलो #Hindi #Love #Hidden #hiddenfeelings #lovesayari Dr. Sakshi Amaan khan Varsha Chaurasia Udass Afzal khan ❣️Dard ki jaan Parv
प्रियदर्शन कुमार
--------------------------------------- यहां दीवारों के भी कान होते हैं --------------------------------------- जरा-सा धीरे बोलो / कहीं कोई
इकराश़
दिवारों से अक्सर ही मैंने सुना है, ज़रा धीरे बोलो ये सबने कहा है। झगड़ कर है मसले सभी अब मिटाना, बताओ कहाँ पर ये तुमने पढ़ा है। गिरा जो सड़क पर यूँ चलते हुए मैं, हवा में ये उड़ने की शायद सज़ा है। नई है अभी मय, इसे ना पियो तुम, पुरानी मिले मय तभी तो मज़ा है। लबों को लबों से लगा कर के जानां, दिसंबर को यूँ जून करना ख़ता है। बुझाता नहीं प्यास कोई कुआं अब, पियूँगा मैं सागर ये मुझको पता है। लिखा है तुझे, फिर मिटा भी दिया है, मुझे साथ तेरा ही इतना अता है। वो जीवन में 'इकराश़' कुछ तो करेगा, लकीरों ने उसकी हमेशा कहा है। एक ग़ज़ल नज़र है आप सबको। कुछ सीधे सच्चे शेर हैं। दिल से पढ़ियेगा और अगर जुड़ सके मेरे जज़्बातों से तो ज़रूर इत्तेला करियेगा। इकराश़ सुविधा के लि
thvachl ;
सवाल तो उठाए जाएगे...............................................!!! सवाल तो उठाए जाएगे !! अरे लड़की हो अपनी हद में रहो जैसे शब्दों से मिलना-झुलना भी लगा ही रहेगा_ चार इधर की और चार उधर की सुननी भी पड़ेगी पर सु
Hrishabh Trivedi
😊निक्की की दुल्हनिया😊 (अनुशीर्षक में पढ़े) ना जाने क्या होता जा रहा है इसे, 8 बज चुका है और बिस्तर छोड़ने का कोई नाम नहीं, रात में चाहे पूरी रात जगा लो। शब्द कान में पड़ते ही समझ आ गय
Seema Sharma
दस्तक....(एक तरफा प्यार से सच्ची मोहब्बत तक) (प्यार मासूम भी बहुत होता है और मासूम प्यार कैसे मुकमल होता है ये वही कहानी है ,जब दो लोग एक दूसरे से प्यार में बस इसीलिए होते है क्यू की उन्हे होना होता है एक दूसरे की जरूरत नहीं आदत नही सिर्फ मोहब्बत होते है , कहते नही बस करते है सबकुछ और बेइंतहां प्यार भी बिना उसके मुकमल होने उम्मीद लगाए, इस कहानी से कुछ वही भाव मैंने कहने की कोशिश की है , और आशा है सबको इस कल्पना में भी अपनी अपनी सच्चाई मिलेगी जरूर और याद रखिए आपकी सच्चाई दूसरों से अलग हो अगर तो इसका मतलब ये नही की वो सच नही होगा)। आज कॉलेज का पहला दिन था गर्मी का मौसम था वो चलते हुए आई , नीले रंग की सलवार कमीज माथे पर एक छोटी सी बिंदी और थोड़े बिखरे बिखरे थे उसके बाल औ
Alok Meshram
हमसुखनं उसके संग हो राहा था रकीब धीरे धीरे जां मेरी जां से जा राही थी धीरे धीरे परिंदो ने अमाद दि किनारा नजदिक होने की कश्ती ले गयी मुझे मगर साहिल से दूर धीरे धीरे बनाया था मैने ख्वाबो में प्यार का मंदिर तोड दि उसी बूत ने वो इमारत धीरे धीरे लाया था दिया मै रोशन करने घर अपना उसी ने घर जलाया अपना देखो धीरे धीरे चली थी दुनिया उजाले में साथ अपने छोड गये अपने भी मेरा साथ अंधेरे में धीरे धीरे "अलोक" लिख रहा हैं फलसफा मोहब्बत का खतम हो चली हैं कलम से स्याही धीरे धीरे #धीरे धीरे