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Nisheeth pandey
मैं और मेरी चित्रण कला की यात्रा ............. मैं बहुत ख्यालों से खेलता हूँ, मेरे मन की यह उन्माद अच्छा लगता है, मेरे चित्रपटल में मेरे ख्याल वीचित्र हैं, रेखाओं के बीच तेजी से बहना, तुलिकाओं के माध्यम से यात्रा करना, यदि आप का ध्यान मेरी ओर ठहर जाए तो आप डूबने लगते हैं मेरे ख्यालों में , और यदि आप संमोहित हो जाते हैं मेरे रंगों में , तो आपकी व्यथा अवर्णनीय हो जाता है! आत्मा का रंग रेखाओं के बाहर एक कैनवास पर थम गया है, एक ख्यालों का किरदार जो अपने उचित स्थान से भटक गया है, अगर वो फिर मिल जाएं, यकीनन वो अपनी आत्मा में से कुछ फेंक देगा आकाश को समुंदर को जमीन को... मैं कैनवास में शब्दों को ढूंढने वाला रंगों को शब्दों में पिरोना पसंद करता हूँ, चित्र के बीच छुपा कविता, कल्पना और अनन्त आकाश की कल्पना में स्वंम को ढूंढना । जब कैनवास पर चित्रण कर पढ़ता हूँ , तो प्रेमिका सी उसकी सुंदरता बढ़ती है, बहते रंग मदिरा सी मदहोश करती है। और मेरी आत्मा आकृति बन नृत्य करती है, और उसकी चमक अलौकिक हो जाती है मुझे कोई प्रकृति की सुंदर संरचना सी प्रतीत होती है.... यकीनन सुनो आप भी ऐसे ही मुझे दिखते हो... #निशीथ ©Nisheeth pandey मैं और मेरी चित्रण कला की यात्रा ............. मैं बहुत ख्यालों से खेलता हूँ, मेरे मन की यह उन्माद अच्छा लगता है, मेरे चित्रपटल में मेरे
Krish Vj
कल्पना से.... और इस तरह खत्म हुई वह कहानी जिसकी उत्पत्ति कल्पना से हुई थी #True love story #dedicated to Sangita my friend #अनकहा_प्रेम #1996 #YourQuoteAndMine Collaborating with Tulika Garg तुलिका आपसे बगैर इजा
ASHKAR Shahi
Thank you Very much humrooh family for making my day special with your wishes and blessings. Humrooh family सिर्फ इस poster तक सीमित नहीं
amar gupta
सुनो तुम अब रूठो ना मुझसे, मेरा प्रेम ये झूठा नहीं है। वो चाहत ही जिसमें हो तुम ना प्रिय, प्रीत वह अनूठा नहीं है! मेरी लेखन का सार है तुमसे, तुम ही शब्द, अक्षर और स्वर हो। मैं कवियत्री नहीं जो ना तुम पर लिखी युग में कोई कविता नहीं है। (पूरी कविता कैप्शन में पढ़े...) सुनो तुम अब रूठो ना मुझसे, मेरा प्रेम ये झूठा नहीं है। वो चाहत ही जिसमें हो तुम ना प्रिय, प्रीत वह अनूठा नहीं है! मेरी लेखन का सार है तुमस
Shruti Gupta
सुनो तुम अब रूठो ना मुझसे, मेरा प्रेम ये झूठा नहीं है। वो चाहत ही जिसमें हो तुम ना प्रिय, प्रीत वह अनूठा नहीं है! मेरी लेखन का सार है तुमसे, तुम ही शब्द, अक्षर और स्वर हो। मैं कवियत्री नहीं जो ना तुम पर लिखी युग में कोई कविता नहीं है। (पूरी कविता कैप्शन में पढ़े...) सुनो तुम अब रूठो ना मुझसे, मेरा प्रेम ये झूठा नहीं है। वो चाहत ही जिसमें हो तुम ना प्रिय, प्रीत वह अनूठा नहीं है! मेरी लेखन का सार है तुमस
Vijay Tyagi
जिरह से... और इस तरह खत्म हुई वो कहानी जिसकी उत्पत्ति संवाद से हुई थी.. #True love story #dedicated to Sangita my friend #अनकहा_प्रेम #1996 #YourQuoteAndMine Collaborating with Tulika Garg तुलिका आपसे बगैर इजा
vishnu prabhakar singh
संगीत के स्वर अभ्यास के धर्म के स्वर विश्वास के देश का स्वर सहयोग के कवि का स्वर योग के! एक तल पे उंगलियां वीणा के साथ एकात्म हो चुकी होंगी । द्वितीय तल पर मृदंग पर लयबद्ध हो मूर्त हो रहा होगा निनाद ।
Nisheeth pandey
मैं बहुत ख्यालों से खेलता हूँ, मेरे मन की यह उन्माद अच्छा लगता है, मेरे चित्रपटल में मेरे ख्याल सुंदर हैं, रेखाओं के बीच तेजी से पिघलना, तुलिकाओं के माध्यम से यात्रा करना, यदि आप का ध्यान मेरी ओर ठहर जाए तो आप डूबने लगते हैं मेरे ख्यालों में , और यदि आप संमोहित हो जाते हैं मेरे रंगों में , तो दर्द अवर्णनीय हो जाता है! आत्मा का रंग रेखाओं के बाहर एक कैनवास पर थक गया है, एक ख्यालों का किरदार जो अपने उचित स्थान पर नहीं है, अगर वो फिर मिल जाएं, यकीनन वो अपनी आत्मा में सब कुछ फेंक देगा आकाश को समुंदर को जमीन को। मैं कैनवास में शब्दों को छूने वाला पाठक बनना पसंद करता हूँ, चित्र के बीच छुपा कविता, कल्पना और अनन्त आकाश की कल्पना में स्वंम को ढूंढना । जब कैनवास पर चित्रण कर पढ़ता हूँ , तो प्रेमिका सी उसकी सुंदरता बढ़ती है और , उसके रंग मदिरा सी मदहोश करती है। और उसकी आत्मा नृत्य करती है, और उसकी चमक अलौकिक हो जाती है जैसे मुझे कोई प्रकृति की सुंदर संरचना सी प्रतीत होती है.... यकीनन सुनो आप भी ऐसे ही हैं... #निशीथ ©Nisheeth pandey मैं बहुत ख्यालों से खेलता हूँ, मेरे मन की यह उन्माद अच्छा लगता है, मेरे चित्रपटल में मेरे ख्याल सुंदर हैं, रेखाओं के बीच तेजी से पिघलना,