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Aanchal Anant
White कुछ तो बात है इन हाथों में पापा के, कि सारे घर का भार उठाए हुए हैं कई सालों से; हां! मैं जानती हूं कि बहुत साहसी हैं मेरे पापा, तभी तो एक कारोबार संभाल रहे हैं कई सालों से। कुछ तो बात है इन हाथों में पापा के। ©Aanchal Anant #मेरेपापा #साहस_का_परिचय #कारोबार #संभालना #लगन #पोस्ट #नोजोटोहिंदी #शायरी #शब्दों_की_दुनिया #लेखन
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read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} सब ग्रन्थों का सार वेद हैं, वेदों का सार उपनिषद् हैं, उपनिषदों का सार गीता है, और गीता का सार भगवान् की शरणागति है। जो अनन्य भाव से भगवान् की शरण हो जाता है, उसे भगवान् सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर देते हैं। ©N S Yadav GoldMine #fathers_day {Bolo Ji Radhey Radhey} सब ग्रन्थों का सार वेद हैं, वेदों का सार उपनिषद् हैं, उपनिषदों का सार गीता है, और गीता का सार भगवान्
#fathers_day {Bolo Ji Radhey Radhey} सब ग्रन्थों का सार वेद हैं, वेदों का सार उपनिषद् हैं, उपनिषदों का सार गीता है, और गीता का सार भगवान् #मोटिवेशनल
read morePawan Kumar
White श्री कृष्ण कहते है अंहकार उसी को होता है जिसे बिना मेहनत के सब कुछ मिल जाता है। मेहनत से सुख प्राप्त करने वाला व्यक्ति दूसरे की मेहनत का भी सम्मान करता है। ©Pawan Kumar भागवत गीता सार
भागवत गीता सार #विचार
read moreआगाज़
White एक नवल आचार उतारो जीवन में एक मात्र दातार उतारो जीवन में मानवता की ख़ातिर जीना मरना है तो गीता का सार उतारो जीवन में - गोविन्द द्विवेदी ✍🏿 ©आगाज़ #flowers गीता सार
Sita Prasad
White लेेखन सौन्दर्य जब भी लिखी दास्तान दिल की कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया किसी ने कहा' वाह क्या बात है! ' किसी को मेरा नज़रिया न भाया हैं दिल की बातें भी अजीब इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते स्वांग न रचना न बातें बनाना सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है समझना तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ मेरा तो बस काम ही है लिखना पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।। सीता प्रसाद ©Sita Prasad #flowers #कविता #लेखक #लेखन
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #कान्हा
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #gita #गीतासार
Gurudeen Verma
शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन