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Vicky purohit Ji
New Year 2024-25 * यू वक्त की खामोशियों पर सवाल ना उठाए,, * खुद बदलता भी है और दूसरों को बदलने पर मजबूर कर देता हैं।। * हाथों की लकीरें अक्सर विक्की झूठी होती,, * नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते...!! (बदलाव जरूरी 2025-:) by-Vicky purohit ©Vicky purohit Ji * हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #NewYear2024-25 शुभ विचार
* हाथों की लकीरें झूठी होती ,, दोस्त नसीब उनके भी होते जिनके नहीं होते #Newyear2024-25 शुभ विचार
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जोश और जुनून को लेकर युवाओं का संघर्षो भरा जीवन है अध्ययन और हुनर पनपे हकीकतो से जूझता जुझारूपन है कितने अवरोधों भरा सिस्टम है एग्जाम पर माफिया होते हावी संकट पेपर लीकेजो का है सपने टूटते धनबल पर सड़को पर युवा दल है झड़पे पुलिस से होती घायल तन मन है सत्ताओ के हाथों युवाओं का होता भविष्य कत्ल है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है
#lostinthoughts सत्ताओ के हाथों युवा के भविष्य का होता कत्ल है
read moreLalit Saxena
Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा बेताब करते है।।।।। गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते ..............तो क्या मैं लिखता? कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार कलम कही पड़ी होती किसी कोने में और कागज़ हवा में उड़ रहे होते कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते। मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!! ©Lalit Saxena #Book दिल से
#Book दिल से
read moreनवनीत ठाकुर
वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली। छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई, कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने। वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला। वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया, जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया। ©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
read moreShishpal Chauhan
White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ । कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ , तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ । तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ, मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ । अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ , लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मेरी नींद हराम करने वाली बेकार में ही दिल की धड़कन बढ़ा लिया करता हूँ। तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ, तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ। मैं तुमसे मिलने से पहले एक बेजान-सा पुतला था तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम। पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ, जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी तुम से जुदा न हो पाऊँगा बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ। कितने लोग आए और कितने चले गए कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ, कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं शायद मैं भी उनमें से एक हूँ अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ। प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ, प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ । लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।। ©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से
#मेरी लेखनी से
read morepramod malakar
@ हाथों में तलवार थाम लो @ चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । तुम्हारा सनातन ख़तरे में है , यही सच है तुम मान लो । कांग्रेस,सपा,राजद और , झामूमो का साथ छोड़ दो। जो धर्म विरोधी है देश विरोधी, उसका राह मोड़ दो। दुनिया से हिन्दू खत्म, पाकिस्तान में हिन्दू खत्म , बंगलादेश में खून बह रहा है। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा, आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है। नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है, हो रहा भारत इस्लाम मय है । वक्त कम है खून गर्म करो , दिल कठोर करो नहीं नर्म करो। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो ।। #################### प्रमोद मालाकार ... 26.11.24 ©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।
हाथों में तलवार थाम लो ।
read moreJayesh gulati
White संवार दे। (read full in caption) ©Jayesh gulati तू आ कभी और मेरे बाल सवार दे । आ कर मेरा ये हाल सवार दे ।। देखो मेरी आंखों से, कभी तुम खुद को भी । छू कर इस बीमार की, तबियत सवार दे ।। कर
तू आ कभी और मेरे बाल सवार दे । आ कर मेरा ये हाल सवार दे ।। देखो मेरी आंखों से, कभी तुम खुद को भी । छू कर इस बीमार की, तबियत सवार दे ।। कर
read moreपूर्वार्थ
White बैठी हैं क्यों दर्द लिए; आतीत-सा मन को शान्त किये । जो बीते पल माहुर से थे; आज क्यों उनके जाम पिए। भविष्य सुनहरा राह देखता; तेरे हर पल आने की, हौसले से तोड़ बेड़ियाँ जख्म भरे अल्फाजों की देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने; आगे बढ़ तू इसी बहाने , दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ; भूल न उसे ; जो कहता तू आगे बढ़। जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ; शत्रु हो जाए छितर - बितर।। मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए , तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।। ©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
#जख्म से जीता
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