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Ravendra
Suchita Pandey
// गधा..भ्रष्ट प्रशासन.. // अतिसचेत हैं कान खड़े हैं , हम लोगों से बहुत बड़े हैं ! अनुशासित हैं, थिंक टैंक हैं, चिंताओं से पूर्ण ब्लैंक हैं । किसी बात का न कोई असर इन पर , सींग नहीं हैं इनके सर पर ! आओ गर्दभ के गुण गायें , गली - गली में माला पहनाएं । यह राजाओं के राजा हैं , बजा रहे सबका बाजा हैं ! इनकी जो आरती उतारे , वही करें सब वारे न्यारे । - सुचिता पाण्डेय✍ #व्यंगात्मक_कविता #भ्रष्टराजनीति #प्रशासन #समाज़ #राजनीतिकपाखंड // गधा..भ्रष्ट प्रशासन.. //
PrAshant Kumar
राष्ट्रों की सीमाएं टूट गईं । युद्ध के नगाड़े थम गये , आतंकी बंदूकें खामोश हैं ; अमीर - गरीब का भेद मिट गया । आलिंगन , चुम्बन का स्थान ; मर्यादित आचरण ने ले लिया । क्लब , स्टेडियम , पब , मॉल , होटल , बाज़ार के ऊपर अस्पताल की महत्ता स्थापित हो गई । अर्थशास्त्र के ऊपर चिकित्साशास्त्र स्थापित हो गया । एक सुई , एक थर्मामीटर ; गन , मिसाइल टैंक से अधिक महत्वपूर्ण हो गया । मंदिर बंद , चर्च बंद , दरगाह , मस्जिद बंद ! हृदय में विराजमान प्रभु को पूजा जा रहा है । धर्म पर अध्यात्म स्थापित हो गया । भीड़ में खोया आदमी , परिवार में लौट आया । सिर्फ एक वायरस हाँ , * प्रकृति * ने मनुष्य की प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त कर ली है । राष्ट्रों की सीमाएं टूट गईं । युद्ध के नगाड़े थम गये , आतंकी बंदूकें खामोश हैं ; अमीर - गरीब का भेद मिट गया । आलिंगन , चुम्बन का स्थान ; म
Ravikant Raut
संलग्न चित्र को दृष्टि गत रख इस कविता को पढें, क्या मैं अपनी बात कहने में कामयाब हुआ हूं या नहीं। उसने कहा हॉट-पैंट, बैकलेस, टैंक-टॉप औ
Shail..
जंग टलती रहे तो बेहतर है ( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) ऐ शरीफ़ इंसानो खून अपना हो या पराया हो, नस्ल ए आदम का खून है आख़िर। ज़ंग मगरिब में हो या मशरिक़ में अमन ए आलम का खून है आख़िर! इसलिए ऐ शरीफ़ इंसा
Arzooo
#2YearsOfNojoto खून अपना हो या पराया हो, नस्ले आदम का खून है आखिर... जंग मशरिक में हो या मगरिब में, अमनो आलम का खून है आखिर टैंक आगे बढ़े या पीछे हटे, कोख धरती की बांझ होती है.... खेत अपने जले या औरो के, ज़िस्त फ़ाको से तिलमिलाती है ।। जीत की खुशी हो या हार का शोख, ज़िन्दगी मैय्यातो पे रोती है.. जंग तो खुद ही एक मसला है, जंग क्या मस्लो का हल देगी ।। आग और खून आज बखशेगी, भूख और अम्तेयाज़ कल देगी... इसलिए ऎ शरीफ इंसानो जंग टलती रहे तो बेहतर है ।। हम और आप सभी के घरों में शम्मा जलती रहे तो बेहतर है ।। खून अपना हो या पराया हो, नस्ले आदम का खून है आखिर... जंग मशरिक में हो या मगरिब में, अमनो आलम का खून है आखिर टैंक आगे बढ़े या पीछे हटे, कोख
Namit Raturi
"पेट्रोल" स्कूटर लाते हुए उसने कुछ बची कुची पेट्रोल की छींटों की आवाज से आंकलन लगा लिया था कि पेट्रोल टैंक में इतना पेट्रोल तो है कि पेट्रोल पंप में जा कर स्कूटर की भूख मिटा सके । वो उसी चप्पल मे स्कूटर को किक करके चल पड़ा पेट्रोल पंप की और,जेब मे ज्यादा पैसे नही थे वही एक 500 का नोट था जिससे पेट्रोल भरवाना था,फिर एक महीने बाद युहीं स्कूटर हिला कर पेट्रोल मापने के बाद वो फिर पेट्रोल भराने निकलेगा । पूरी कहानी कैप्शन में पढ़े ।। स्कूटर हिलाते हुए उसने कुछ बची कुची पेट्रोल की छींटों की आवाज से आंकलन लगा लिया था कि पेट्रोल टैंक में इतना पेट्रोल तो है कि पेट्रोल पंप में