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आलोक अग्रहरि
दे चुका हो जो धोखा उसपे विश्वास नही होता। खुदा की नजर में कोई असमान नही होता।। आलोक हर कोई नही बन सकता यहां सिकंदर, क्योंकि हर किसी का ह्रदय पत्थर-सा नही होता। ©आलोक अग्रहरि #सिकन्दर
कवि अनूप दीक्षित राही
जो बिगड़ जाये ऐसा मुकद्दर नही हूँ मै। मै सिकंदर हूँ किसी से कमतर नहीं हूँ मै।। - अनूप दीक्षित"राही उन्नाव उ0प्र0 सिकन्दर
सिकन्दर
read moreज़िंदादिल संदीप
#OpenPoetry हुए आज जो गुमशुदा से कुछ यूं सवालों में... जुटा है ज़माना अब कुछ मेरे ही गुमनाम सुन्यकालों में... हर इक सख्श की रूह को खोज निकालता हूं अब खयालों में .. जल्द ही शिरकत होगा ज़िंदादिल का भी.. उन नज़ीर ए खयालों में.. मैं हूं कौन अब ये भी पूछते है वो अक्सर.. ज़िंदा इक लाश हूं मैं ..कहता हूं हस कर.. बस अकड़ है इतनी की ज़िंदा सा दिखता हूं मैं.. ज़िंदादिली ही जाना हैं हमने..राज करता हूं दिलों पे..सिकंदर हूं मतवालों में।। सिकन्दर
सिकन्दर #OpenPoetry
read moreDipika Saini
दर्द.. गम.. भय.. जो भी है बस तेरे अन्दर है!! खुद के बने पिन्जरे से बाहर निकल कर तो देख... तु भी एक सिकन्दर है 💐💐 दीपीका सैनी सिकन्दर
सिकन्दर
read moreAnuj thakur "बेख़बर"
अच्छा सुनो.. उसकी मजबूरी ने मेरी तकदीर ही तवाह कर दी! वरना मैं भी दिलों का सिकन्दर हुआ करता था!! सिकन्दर
सिकन्दर
read moreSamratt Pandya
"सिकन्दर" आज अंधेरा है जिंदगी में तो क्या हुआ। कल सूरज के साथ फिरसे जगमगाना हैं।। डूबते हुए सूरज ने हमें शिखाया हैं। कल उम्मीदों के साथ फिरसे जगमगाना हैं।। भूल जा आज की हर तकलीफों को। कल फिरसे नई मंझिलो की और क़दम बढ़ाना है।। है हौंसला और हिम्मत तुजमे वही। जोश और होश के साथ तुझे नया क़दम उठाना हैं।। अकेला ही सही क़दम से क़दम बढ़ाएं जा। सिकन्दर है छुपा तुजमे वो झमाने को दिखाना है।। आज अंधेरा है जिंदगी में तो क्या हुआ। कल सूरज के साथ फिरसे जगमगाना हैं।। "सम्राट" ©Samratt Pandya "सिकन्दर" #waiting
"सिकन्दर" #waiting
read moreडॉ राघवेन्द्र
✍️आज की डायरी✍️ ✍️सिकन्दर बनना होगा.....✍️ "सफ़र-ए-ज़िन्दगी के लिए कोई तरीक़ा ईज़ाद करना होगा , वक्त की नज़ाकत है अब किसी अंजाम पर पहुँचना होगा । मायूस रहने से भला किसी की क़िस्मत कहाँ बदलती है , मुस्कुराते हुए कठिन मंज़िल को आसान करना होगा ।। बात करने का तरीक़ा ही हमें जीने का अंदाज़ सिखाता है , दर्द-ए-ग़म में भी आवाज़ की लर्जिश को बदलना होगा ।। बहुत सोचने से बदलाव हो जाये ये कहना भी मुश्क़िल है , आगे बढ़ने के लिए दिल और दिमाग स्थिर करना होगा ।। हक़ीक़त यही है टूट जाते हैं लोग असफलताओं में "नीरज" , मज़बूत इरादों से ही हमें फ़िर से सिकन्दर बनना होगा "।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र सिकन्दर बनना होगा...
सिकन्दर बनना होगा...
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