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मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
◆◆◆मतवाला◆◆◆ स्तब्ध सड़क पर मैंने उस रात, जाते उसको देखा था। क्षीण-हीन, अलसाई रात में, चला जारहा अकेला था। दुख को खुशी से खुशी में छुपाये,खुशी का वो मेला था। बनकर मस्त-मौला-फकीरा, कितने! ग़मो को झेला था। दिखा रहा था पथ जीवन का, विपत्तियों का बस रेला था। ठिठका! जो वो मर गया, चला जो जीवन को खेला था। #मतवाला #matwala #philosophyoflife #shatyagashi
Uttam Dixit
माना इल्म है हमको के हरदम साथ मेरे अब होते नहीं हो तुम, पर तन्हाई में करके याद हमें,क्या रोते नहीं हो तुम!! मैं कतरा-कतरा हर शाम जैसे डूबा करता हूँ, उस तरह कभी मेरी यादों में क्या खोते नहीं हो तुम!! मैं हर रोज सुबह में तेरी जैसे जागा करता हूँ, उस तरह मेरी हर रात में क्या सोते नहीं हो तुम!! फ़िर से तेरी बाहों में बाहें डालने को जी चाहता है, ऐसे ही किसी ख्वाब को कभी खुद में, क्या सँजोते नहीं हो तुम!! मेरे दीदों में तेरे लम्हों की जैसे फ़िल्म चलती है, उस तरह कभी यादों के धागे में, उन पलों के मोतियों को,क्या पिरोते नहीं हो तुम!! मैं तन्हा-तन्हा अक्स में तेरे बहता रहता हूँ "मतवाला", फ़िर सोचता हूँ कि साथ मेरे अब, क्यूँ होते नहीं हो तुम!! #इल्म #याद #मतवाला #मोती #udquotes
Homendra Kumar
कछुए की उड़ान कछुओं का एक राजा था।उसे राजा बृहस्पति के विवाह का निमंत्रण मिला।वह आलसी था।फलतः घर पर ही रह गया। विवाह के उत्सव में सम्मिलित नही हुआ।बृहस्पति नाराज हो गए।उन्होंने कछुओं को पीठ पर अपना घर ढोने का साप दे दिया। एक समय एक बड़े तालाब में एक कछुआ रहता था।उसमे अनेक राजहंश भी रहते थे। उनकी उड़ान कछुए को बहुत अच्छी लगती थी। वह भी। ©Homendra Kumar #Colors कविता की कहानी।#कहानी
Vivek
कहानी हमारी नही होती उन हालातों की होती है जिन हालातों में रहकर हम निखरें हैं ज्वाला बने हैं,, हम कितने गहरे होंगे कितने विशाल होंगे ये निर्भर करता है हम कहां उगते हैं उसी तरह इंसान के संस्कार, त्याग, तप, निर्भर करते हैं वो किस हालात में किन स्थितियों में रहता है!! ©Vivek #कहानी हालातों की #कहानी हमारे बनने बिगड़ने की #
Uttam Dixit
माना इल्म है हमको के हरदम साथ मेरे अब होते नहीं हो तुम, पर तन्हाई में करके याद हमें,क्या रोते नहीं हो तुम!! मैं कतरा-कतरा हर शाम जैसे डूबा करता हूँ, उस तरह कभी मेरी यादों में क्या खोते नहीं हो तुम!! मैं हर रोज सुबह में तेरी जैसे जागा करता हूँ, उस तरह मेरी हर रात में क्या सोते नहीं हो तुम!! फ़िर से तेरी बाहों में बाहें डालने को जी चाहता है, ऐसे ही किसी ख्वाब को कभी खुद में, क्या सँजोते नहीं हो तुम!! मेरे दीदों में तेरे लम्हों की जैसे फ़िल्म चलती है, उस तरह कभी यादों के धागे में, उन पलों के मोतियों को,क्या पिरोते नहीं हो तुम!! मैं तन्हा-तन्हा अक्स में तेरे बहता रहता हूँ "मतवाला", फ़िर सोचता हूँ कि साथ मेरे अब, क्यूँ होते नहीं हो तुम!! #इल्म #याद #मतवाला #मोती #udquotes