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Amit Singhal "Aseemit"
बहुत बड़ा और गहरा है पीड़ा का समंदर, जो छुपा रखा है मैंने अपने मन के अंदर। मुख पर मुस्कान रहे और शांत दिखता हूं, परंतु मन में घूमता रहता घनघोर बवंडर। ©Amit Singhal "Aseemit" #पीड़ा #का #समंदर
Mukesh Poonia
शब्द से खुशी, शब्द से गम शब्द से पीड़ा, शब्द ही महरम...!! . ©Mukesh Poonia #KhulaAasman #शब्द से #खुशी, शब्द से #गम शब्द से #पीड़ा, शब्द ही #महरम...!!
Pushpvritiya
"पीड़ा" पलायन करती हैं न, इस "हृदय" से उस "हृदय" तक................ @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya #पीड़ा
Rakhi Om
"पीड़ा " कल रात निकली पड़ी थी ख्वाबों में अपनी पुरानी दुनिया मे रास्ते मे फूल मुरझाए पड़े थे लोग आंखों में पानी भरे थे बादल भी रो पड़े थे खेत भी परेशान खड़े थे भारत माँ के दो टुकड़े पड़े थे एक हिंदुस्तान, एक पाकिस्तान पड़ा था रास्ते मे अँधेरा बड़ा गहरा था में लौट आ रही हू अपनी पुरानी दुनिया से पीड़ा असहनीय है क्योंकि भारत मां के एक तरफ हिंदुस्तान खड़ा है और और दूसरी तरफ पाकिस्तान खड़ा है Rakhi's Om ©Rakhi Gupta # पीड़ा #
R K Mishra " सूर्य "
एक अजीब सी पीड़ा खाए जा रही है कैसे औ किसको बताऊं रुलाए जा रही है एक अजीब सी..... यादों में खोऊ तो बरसती हैं आखें बरसती हैं आखें तो तरसती है यादें उम्मीदों की दुल्हन जिलाये जा रही है एक अजीब सी...... सुनता तो है वो मगर मौन होकर चुपके से आते चले जाते रोकर समय कैसी हरकत कराए जा रही है एक अजीब सी...... सुलझती है उलझन मगर कैद करके सज़ा देती खुलकर मगर अपना बनके मैं हूं "सूर्य" फिर भी बनाए जा रही है एक अजीब सी....... ©R K Mishra " सूर्य " #“पीड़ा”
Babita Buch
उम्र के अन्तीम पड़ाव मे बेटे का इन्तजार कर रही हू कब आएगा बुढी की आंखें पत्थाराने लगी है कब सांस आश छोड़ दे रोज रात लालटेन जलाये तुम्हारा इन्तज़ार कर रही हूं क्योंकि तुम अक्सर रात की ट्रेन। से ही आते हो मेरे हाथों का खाना खकर सुबह निकल पड़ते हो जब से तुम्हारी गृहस्थी बसी मेरा इन्तजार खत्म नहीं हुआ इन्तजार इतना लम्बा ना रेह जाये मेरी सांस निकल जाये ©Babita Bucha #पीड़ा