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Amit Singhal "Aseemit"
प्रकृति का कण कण है अप्रतिम और सुललित, जिसको देख कर ही मन हो जाता है प्रफुल्लित। मत ख़त्म करो तुम प्रकृति के सब संसाधनों को, अन्यथा जब ये न होंगे क्या उत्तर दोगे अपनों को। ©Amit Singhal "Aseemit" #प्रकृति #का #कण #कण
DR. LAVKESH GANDHI
मातृभूमि हाथ में मातृभूमि के कण को लेकर मैं बहुत गौरवान्वित हूंँ मैं कितना बड़ा भाग्यशाली हूंँ मैं अपनी मातृभूमि में जन्मा हूंँ और अपनी ही मातृभूमि में मरने का दिली हसरत रखता हूंँ ©DR. LAVKESH GANDHI #PhisaltaSamay # # मातृभूमि का कण-कण #
Manu Kapila
राख के कण से ज्यादा हस्ती मेरी नहीं जो सोचते है इससे ज्यादा उनकी भी नहीं तु सियासत करता रह इससे ज्यादा रियासत तेरी नहीं मेरी राख को भी हाथ ना लगा पाएगा तु जलता हुआ शोला है बुझा हुआ कोई कण तो नहीं दुख पीडा देकर मुझे तो खुश तो हो सकता है मगर कभी झुककर देखना नीचे जिस नींव पर खडा है वो नींव तेरी तो नहीं ©Manu Kapila राख का कण #Butterfly
pramod malakar
मैं ज्योति का अधिकारी हूं , राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं , मैं भारतीय नारी हूं। अंधेरा मन में उजाला भर जाती हूं , सनातन संस्कृति का सच समझाती हूं गीत वतन का गाती हूं। घर - घर जाकर हिन्दुत्व का अलख जगाती हूं , कमल फूल है निसान हमारा , सबको बतलाती हूं। गौरवमय है भारत का इतिहास , सच कि विगुल बजाती हूं। मैं कर रही 2024 कि तैयारी हूं , मैं ज्योति अधिकारी हूं, राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं। (((((((((((((((((()))))))))))))))))) प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar मैं ज्योति का अधिकारी हूं
pramod malakar
मैं ज्योति का अधिकारी हूं , राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं , मैं भारतीय नारी हूं। अंधेरा मन में उजाला भर जाती हूं , सनातन संस्कृति का सच समझाती हूं गीत वतन का गाती हूं। घर - घर जाकर हिन्दुत्व का, अलख जगाती हूं , कमल फूल है निसान हमारा , सबको बतलाती हूं। गौरवमय है भारत का इतिहास , सच कि विगुल बजाती हूं। मैं कर रही 2024 कि तैयारी हूं , मैं ज्योति अधिकारी हूं, राष्ट्र विरोधियों पर भारी हूं। (((((((((((((((((()))))))))))))))))) प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar मैं ज्योति का अधिकारी हूं
चंचल 'चमन'
#FourLinePoetry कण-कण प्यासी देख के धरती, नहीं किसान की आंखें भरती! माँ समझ के मिट्टी मस्तक मलते, तब लोगों के हैं घर चलते .....!! @चंचल चमन ©Goswami Pintu Giri कण कण प्यासी... #fourlinepoetry