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Surendra Kumar Kahar
गुरु और दिपक गुरू दिपक कि तरह होते हैं,जिस प्रकार दिपक स्वंय जलकर अन्धकार मिटाता है। गुरुका स्थान भी उससे कम नहीं कहीं ज्यादा है। ©Surendra Kumar Kahar गुरु दिपक से कम नहीं
Shubham Lad
Vijaykumar Khune
Seema Mahajan
दिये से हमे यह शिक्षा मिलती है कि एक, दिया भी समर्थ है अंधकार मिटाने को। अच्छे बदलाव जीवन मे जरुरी है और आप अकेले भी, इस पुनीत कार्य की शुरुआत कर सकते है। ©Seema Mahajan दिपक
Komal Pardeshi
एक इबादत
एक नयें युग का निर्माण दिखा मुझे जिसका ख्वाब़ देखा था वर्षों पहले वो होता साकार दिखा मुझे, कुल की गाथा को अब हमें नही लजाना है मर्यादित मराठा सभ्यता को माटी में नही मिलाना है, दुर्भाग्य था वो बुरा वक्त था जब अपने राह अपने पूर्वज भटक गयें किन्तु अब वादा है वंश को अपना धर्म सिखलायेंगे भरेंगे उनके उर भीतर प्राणियों को स्नेह बांटना मातृ सम्मान करना भी सिखलायेंगे, श्रापित सम्प्रदाय को श्राप मुक्त करायेंगे कुल का गान वंशजों को बतलायेंगे छत्रपति के वंशज है ,चल उनके आदर्शों पर फिर हिन्द का गरिमामय पताका नभ की छाती में फहरायेंगे...!! thank you so much bhai... 🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐 Dedicating a #testimonial to Deepak Raj Patalwansi अकेले लडा़ई में अब कोई साथी मिल गया , किस कदर शुक्रिया करूं उसका जो हमारे हर विचारों से
Kavita
,तुम स्याही , हम कोरे कागज से (🙏please read caption 🙏) #तुम स्याही, हम कोरे कागज से तुम स्याही, हम कोरे कागज से ! तुम पक्के रंगों से भड़े , हम सफेदी मे लिपटे से ! तुम अपने अस्तित्व मे अरे, हम अ
Adv Sandeep Saini
जद दीवो एक उम्मीद को हर भारतवासी जलावगो म्हाने बेरो है लडाई छोटी कोनी कितनौ ही अंधेरो हैं मोदीजी पण देश थार साग है ई महामारी न धूळ चटा इ स्या देश रा सगला डाक्टर पुलस आला अर सफाई आला न हाथ जोड क रामराम खम्मा घणी सा आज रात ९ बज्यां ९ मिंट रे वास्ते घरां री सगळी लाइटां ने बंद कर दिपक, मोमबत्ती, मोबाइल री फ्लेश लाइट या साधारण टार्च सूं किंवाड
Kavya Goswami
सफलता को मुट्ठी में भरकर शहर से जब वापस आऊ तेरी मिट्टी को चुमकर मै अपने माथे पर तिलक लगाऊ बसंती हवा के झोंके बन मेरे सर पर हाथ धरोगी क्या बोलो मेरी जन्मभूमि बचपन सा प्यार करोगी क्या.... (Please read in caption) सफलता को मुट्ठी में भरकर शहर से जब वापस आऊ तेरी मिट्टी को चुमकर मै अपने माथे पर तिलक लगाऊ बसंती हवा के झोंके बन मेरे सर पर हाथ धरोगी क्या बो