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Priyanshi
कर के गुनाह बेशुमार , वो इल्ज़ाम पूछने आए हैं। निकल कर कहानी से , वो अंजाम पूछने आए है । अरे खाली मकां टूटता तो फिर से जोड़ लेते हम , नासमझ ,तोड़कर घर मेरा अब निज़ाम पूछने आए है ।। - मन्नत निज़ाम - बंदोबस्त
RAJU THAPA (RAJ MASTANA)
महँगे हो गए है शहर के मयखाने निगाहे यार की निगाहों से पी लेते है । बंदोबस्त राज मस्ताना
Mahendra Singh Chundawat
आज का ज्ञान ज़मीन तेरी है ये आसमान तेरा है तू ख़ुशनसीब है सारा जहान तेरा है ज़मीं पे लाख बना ले मकान तू ज़मीं के नीचे ही असली मकान तेरा है जमीन तेरी है
Vikas Khandelwal ( Raman )
इबादत कर रहा था मैं तो ख़ुदा पूछ बैठा उनका हाल कैसा है मैंने कहा ख़ुदा से ये आज सवाल कैसा है उनका भी हाल मेरे जैसा है ना जीते है ना मरते है ना जुदा होते है ना मिलते है इश्क़ के बीमार जैसा है ना दवा लगती है ना दुआ लगती है किसी बेहाल जैसा है ख़ुदा बोला फिर, उनका ख्याल कैसा है मैंने कहा , जो वो दिख जाये तो चांद जैसा है वरना कागज पे लिखी गज़ल जैसा है ख़ुदा बोला फिर,उनका अन्दाज़ कैसा है मैंने कहा ,चमक जाये तो सूरज जैसा है बरस जाये तो बादल जैसा है इसलिए सुनो ख़ुदा तुम मेरा हाल ज़मीन जैसा है #जमीन जैसा है
Nilesh Dhanshetti
खुदा तू भी नही , मैं भी नही गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं, दोनों इंसान हैं खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं। गलतफहमियों ने कर दी दोनों में पैदा दूरियां, वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं मैं भी नहीं। अपने अपने रास्तों पे दोनो का सफ़र जारी रहा, एक लम्हें को रुका तु भी नहीं मैं भी नहीं । चाहते बहुत थे दोनों एक दूसरे को मगर ये हक़ीक़त मानता तु भी नहीं मैं भी नहीं। गलतियों से जुदा तू भी नहीं और मैं भी नहीं, दोनों इंसान हैं ख़ुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं। ©Nilesh Dhanshetti परो को खोल जमाना उड़ान देखता है , जमीन पे बैठके क्या आसमान देखता है #Butterfly
Ahamad naved
एक दिन हाथ ने पैर से कहा यार काम सारा मैं करता हूं, और लोग पैर क्यों पकड़ते हैं। तो पैर ने कहा सम्मान पाने के लिए हवा में उड़ना नही, जमीन पे रहना पड़ता है ©Ahamad naved सम्मान जमीन पे मिलता है
Swechchha Pandey
वो जो उस दिन जमीन पर नंगे पैर देखकर मेरी औकात का अंदाजा मेरे पीठ पीछे लगा रहे थे। शायद उन्हें खबर नहीं कि हीरे को चाहें जितना ही जोर से आसमान में उछाल दो आना उसको भी ज़मीन पर ही है। #जमीन से वज़ूद है मेरा