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Aabid Qureshi
तुम्हारा ख्याल आया चेहरे पे वो अनचाहा मलाल आया, खामखा ज़माने वालो की नजदीकियों के लिए तड़पा किए आबिद पर वक्ते जरूरत कोई ना काम आया | ©Aabid Qureshi #ज़मानेवाले
रितिक पंचौली
#Pehlealfaaz हम उनसे नहीं जो ज़मानेभर के दोस्त रखते है, हम ज़माने भर के लिए एक दोस्त रखते हैं। हम उनसे नहीं जो ज़मानेभर के दोस्त रखते है हम ज़माने भर के लिए एक दोस्त रखते हैं
kumaarkikalamse
मिरे शेर, मिरी ग़ज़लें, सब हो बेशक ज़माने के लिए पर, हर नज़्म में लिखा एहसास है तुझे सुनाने के लिए! #kumaarsthought #kumaarromance #kumaarlove #kumaarwrites2022 #रूहानीएहसासतेरा #ज़मानेकेलिए
Shayar E Badnaam
अक्स हूं के खला हूं मैं, ना जाने कौन सी बला हूं मैं, गुमनामियों के वास्ते, बदनामियों के रास्ते, ज़माने की राह चला हूं मैं, ये जो मुझसे शफ्फाकी की उम्मीद रखते है, कोई बताया इन्हे, ना मुझमें कोई खूबी है, और ना ही शख्स भला हूं मैं.... #शायर_ए_बदनाम #शफ्फाकी #उम्मीद #ज़माने_की_राह #बदनामी_गुमनामी #अक्स #खला
kumaarkikalamse
वो ग़म में थी, जी रही थी बेदर्द ज़माने के लिए, मैं आया करीब और की कोशिश हँसाने के लिए! #kumaarsthought #kumaarromance #kumaarlove #kumaarwrites2022 #रूहानीएहसासतेरा #ज़मानेकेलिए #हँसाने
kumaarkikalamse
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए मैंने छुआ है तुझे, तुझसे मिलाने के लिए #kumaarsthought #kumaarromance #kumaarlove #kumaarwrites2022 #आनेवालेजानेवाले #रूहानीएहसासतेरा #ज़मानेकेलिए
Anamika
मुझको पत्थर कर दिया इस बेरहम ज़माने ने... हसंने मुस्कुराने लायक भी न छोड़ा ज़माने ने... जब सोचने बैठी कि कुछ तो कर गुजरना है... मेरी हर सोच पर अंकुश लगाया इस ज़माने ने... सब छोडकर ख़ुद के लिए जब जीने की सोची... तो ख़ुदगर्ज हो तुम ये बताया इस ज़माने ने... सब कुछ सुनकर भी इस मुकाम़ पर आ खड़े हैं... तो सब बोल रहें हैं तुम्हें काबिल बनाया इस ज़माने ने... © अनामिका #ज़माने ने
पथिक..
दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए, अपने गिरेबां पर ना झांका कभी नज़र रही ज़माने के गिरेबां पर दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए दिखता क्यूँ नहीं मुझको झोल अपने, काले मन का ,जिसमें समाया है,ईर्ष्या भाव,और कुटिलता,अंधकार सा, दो शब्द चुराकर लाया में, ज़माने भर की बुराई के लिए, अपना किया मुझ को सब लागे, ज़माने का कछु नहीं, अपनी पीड़ा,सबसे गहरी दूजे की पीड़ा मन को, ना समाय ऐसा मेरा मन पगला ,दूसरे की खिल्ली देत उड़ाये,अपने गिरेबां पर ना झांका कभी,दूसरे के गिरेबां पर मैल बताये,दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए,अपनी गलती क्यूँ नस्वीकार करूँ में, मेरे मन का "में "(अहंकार) सबसे बड़ा है,बाकी सब तुच्छ दिखते मुझ सा ज्ञानी कोन यहां है,बात मुझे ये कभी ना भाये, भला कोन है, जो मुझे मेरे गिरेबां पे मैल दिखाए दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर कि बुराई के लिए, खुद के गिरेबां पर ना झांका कभी, दूसरे के गिरेबां पर मैल दिखाए ©पथिक #ज़माने की बुराई