Find the Latest Status about सुनहरा हंस from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सुनहरा हंस.
Rajesh Khanna
BeHappy मेरी खुशी तेरे हाथों में है तू चाहती तो मुझे हंस हंस कर पागल देती ©Rajesh Khanna #beHappy हंस हंस कर
Rajesh Khanna
याद करेंगे उन बातों को जिन्हें अब भुलना पड रहा है तुम भी सोचोगी यार इतना भी बुरा नहीं था अब रोना पड रहा है यार हंस हंस के बातें किया करती थी वो मुझे क्या मालूम था आज ये दिन भी देखना पड़ रहा है ©Rajesh Khanna #Iqbal&Sehmat हंस हंस
N.S. RATHOR
बहुत छोटी आयु में उस ज्ञान ओर अनुभव को पा लिया है साहब । इतिहास साक्षी है इसमें हमारा नहीं हमारे वंश का प्रभाव है । हंस का छोटा बच्चा आकाश कीं उन उचाईयों पर जा सकता है । सागर कीं लम्बी दूरी को नाप कर वापस अपने ठिकाने पर माता पिता के साथ ही ठहरता है । सागर से निकले हीरे मोती को पचाने की क्षमता ईश्वर ने उसी पंक्षी के वंश को प्रदान कीं है । फिर भी दुनिया के आलोचकों ने उस अनूठे पंछी की क्षमता ओर विशेषताको पहचानने कीं भूल ही है ।। एन.एस.राठौर हंस
Saurabh Raj Sauri
जीत का जश्न मनाने दो उनको ,अगला ताज़ हमारा होगा बल्ला बोलेगा शर्मा जी का,तब तगड़ा वार हमारा होगा जुगनू चमकेंगे धरा पर एक दिन देखना सब वो चमकता,सुनहरा वक़्त हमारा होगा ©Saurabh Raj Sauri सुनहरा वक़्त
Vishnu K Keshri
पवित्रता ही मुक्ति का सबसे सीधा एवं सरल मार्ग हैं। ©Vishnu Keshri सुनहरा मार्ग
J P Lodhi.
ये सर्द सुनहरी सुबह है, और . .शाम बनेगी सुहानी। हौसलों से लिखते हम अपनी सफलता की कहानी। वक्त आया है सुनहरा,करे हम साकार सपने अपने। तजुर्बा दे गए गुजरे जमाने,कैसे आएंगे अब जमानें। संभल जाओ वक्त बदलो,कहो खुद से हार न माने। हम समय के साथ चलते है,मिलाकर कंधे से कंधा। सुनहरी सुबह के जैसा बनाएंगे हम स्वर्णिम भविष्य। #सुनहरा समय*
Parasram Arora
उम्र का कद कितना लघु हैँ फिर भी हम शर्ते बांधे चले जाते हैँ सीमाएं तय किये जाते हैँ न हम खुद से न खुदा से प्रेम कर पाते हैँ औऱ हर पल व्यर्थ गवा देते हैँ जबकि हर पल हर क्षण खुशिया बटोरने का हमें पूरा अवसर देता हैँ लेकिन हर बार हम चूकते चले जाते हैँ सुनहरा अवसर
Vikas sharma
।। सुनहरा ख़्वाव ।। सुरूर ये कैसा है तेरे इश्क़ का मेरे हमनवां बिखरकर भी रहते है संवरे संवरे से हम ग़ुम हैं आँखों की भूल-भुलैया में जब से राह में हैं अपनी,लगते है फिर भी खोय खोय से हम सही-ग़लत में अब फ़र्क नही,अब सब सही जो है वहीं है हम,फिर क्यूँ यूँ लगते हैं इतने बदले बदले से हम जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सोना होता है तुमको पाकर,लगते हैं इतने निखरे निखरे से हम जानता हूँ वो ही अपना नही है, इस भरे जहान में जितना भी सोचें उनको,है उतने ही उलझे उलझे से हम जिस दिन देख ले वो ,नज़र उठा के हमें कितनी ही रातों के, लगते हैं रत-जगे से हम @विकास ©Vikas sharma सुनहरा ख़्वाव