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Devesh Dixit
श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो बाज।। घटनाओं का सिलसिला, बढ़ता है दिन रात। कहती हैं श्रद्धा सभी, समझो अब जज्बात।। धोखा दूँ माँ बाप को, श्रद्धा करे न पाप। आफताब जैसे मिलें, तब होता संताप।। हो श्रद्धा मन में बहुत, खुश होते भगवान। संकट करते दूर हैं, हों पूरे अरमान।। श्रद्धा जिसमें भी रहे, हो उसका उद्धार। पाप कर्म से दूर हो, बना रहे उद्गार।। श्रद्धा से कोमल बने, मन के अपने भाव। दूजों की पीड़ा दिखे, उभरे उर के घाव।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #श्रद्धा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry श्रद्धा (दोहे) हिस्सों में अब बट रहीं, कितनी श्रृद्धा आज। आफताब घेरे इन्हें, बन कर के वो ब
Shaarang Deepak
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो ,बशर,हूरों,मलाईक के वो कयाम है अभी//२ मां ने बचपन में मुझे जो कराई थी हिफ्ज, मुकद्दस कुरानी आयते वो मुकम्मल याद है अभी//३ मैं मां की पेशानी के बोसे की लज़्ज़त उसे क्या बताऊँ,जो इस उम्दा नेमत से अनजान है अभी//४ फिजूल है तेरा खालिक के बाबत सोचना,के खालिके कायनात का ज़ालिम पर जलाल है अभी//५ अब मोहब्बत की तरफ़ लौट आओ,के तुम्हारी नफरत को मिटाने वाला वो मेहरबान है अभी//६ "शमा" पर कहरे तशदूद की सोचना भी मत,तेरी हुकूमत को पलट देने वाला वो सुलतान है अभी//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #aaina जालिम हमें हरगिज तन्हा ना समझना,हमारी हिफाजत करने वाला वो रहमान है अभी//१ आज भी उस यकता की इबादत में खड़े जिन्नो,बशर, हूरों,मलाईक के
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,