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royal_shetkari
Unsplash गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी तरीही पावसानं सांगता घेण्यास नकार दिला आहे दारी तोरणं कसं लावू ह्या विवंचनेत बळीराजा ग्रासला आहे 🌱 पुढचं पीकं घेण्याआधी जमीन सुकलं का..ह्या विचारात पडला आहे ©royal_shetkari गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी
गंध मातीचा आता पुरता गुदमरला आहे चिखल होऊन त्याचा शेतकरी रूतला आहे पीकाचं सोनं होता होता राहीलं सर्वत्र कुजका खच पडला आहे 🌾 आली दसरा दिवाळी
read moreनवनीत ठाकुर
जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं, अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए। ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं, रातों को अपनी रोशनी से सजा दीजिए। लगे जब भी जीने की राह कठिन, इरादों से रास्ते अपने बना दीजिए। हर ख्वाहिश को हासिल करने का रखो हौसला, खुद में हर मुश्किल को हल दीजिए। हो गर आसमान की ऊँचाई छूने का इरादा, तो जमीन से अपनी उड़ान दीजिए। हो दर्द जो दिल में छुपा गहरा, अपनी ताकत का हिस्सा उसे बना दीजिए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं, अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए। ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं, रातों
#नवनीतठाकुर जो खो चुकी हो राहें, वो फिर से पा ली जाएं, अपने हर दर्द से एक नयी राह बना दीजिए। ग़म की घटाओं को अपनी मुस्कान से चुराएं, रातों
read moreParasram Arora
Unsplash बहूत रात जागने के बावजूद. एक गहरी नींद मुझे मिली नहीं कितना बड़ा ये जहांन है फिर भी रहने के लिए दो गज़ ज़मीन मुझे मिली नहीं खुलकर रोने क़ी ख़्वाहिश थीं मेरी. पर रोने के लिए घर मेi खाली कोना मुझे मिला नहीं ©Parasram Arora दो गज़ जमीन
दो गज़ जमीन
read moreनवनीत ठाकुर
शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम, आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा। घर वर, बार वार रह जाने सब यहां, आख़िर वहीं जाना होगा। जिन्हें था गुरूर ये वक्त उनके साथ, सबको राख में मिल जाना होगा। ©नवनीत ठाकुर #शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम, आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा। घर वर, बार वार रह जाने सब यहां, आख़िर वहीं जाना होगा। जिन्हें था गुर
#शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम, आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा। घर वर, बार वार रह जाने सब यहां, आख़िर वहीं जाना होगा। जिन्हें था गुर
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना शीर्षक अंतिम माह का माफ़ीनामा विधा मन के विचार भाव वास्तविक हुई जो अंजाने में कोई गलती या दुखा हमारे शब्दों से मन
read moreR@V sahil
मेरे भोले मेरे साथ इंसाफ कर! जो दिल मेरा दुखाए और माफी तुझसे मांगे उसे यूं न माफ़ कर!!!! ©R@V sahil माफी
माफी
read moreRaju Saini
White कितने अजीब होते हैं लोग भी गलत साबित होने पर माफी नहीं मांगते बल्कि आपको गलत साबित करने में अपनी पूरी ताकत लगा देंगे ©Raju Saini #sad_dp #Rajusaini #sainishayri #rajushayri कितने #अजीब होते हैं लोग भी #गलत साबित होने पर #माफी नहीं मांगते बल्कि #आपको गलत साबित करने में
#sad_dp #Rajusaini #sainishayri #rajushayri कितने #अजीब होते हैं लोग भी #गलत साबित होने पर #माफी नहीं मांगते बल्कि #आपको गलत साबित करने में
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White तुम रह्ते हो खयलो म्र् ©बेजुबान शायर shivkumar तुम पास ना होकर भी , तुम रहते हो मेरे #साथ मे इन #अंधेरी गलीयों को यु , तुम करते हो इन्हे रौशन इस बंजर से बाग को , तुम्ही तो #महकाते हो
Shivkumar barman
मैं तुम्हारे लिए उस चांद तारे को इस जमीन् पर ला तो नहीं सकता लेकिन तुम्हें तुम्हारे हिस्से कि वो मै हर खुशी दे सकता जिसके तुम हकदार हों... हा शायद मैं उसमे शामिल न हो पाऊं तुम्हारे घर के हर उत्सव में आऊं लेकिन अगर कभी जो आई मुसीबत मे मुझे तुम हमेसा ही मेरा साथ जरूर पाओगे... हा शायद मैं ना दे पाऊं कभी वो, तुम्हें हर वक्त ब्रांडेड गिफ्ट्स या वो खुशियाँ लेकिन तुम मेरे साथ रहे अगर तो हमेशा वो मन, सम्मान और भरोसा भी पाओगे... हा शायद तुम्हें डर है प्यार, मोहब्बत और इश्क से, लेकिन क्या मेरे कहने से तुम एक बार , मुझ पर वो भरोसा कर पाओगे... ©Shivkumar barman मैं तुम्हारे लिए उस #चांद तारे को इस #जमीन पर ला तो नहीं सकता लेकिन तुम्हें तुम्हारे #हिस्से कि वो मै हर खुशी दे सकता जिसके तुम #हकदार