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Andy Mann
होली पर, आप जितना लड़खड़ायेंगे देश की अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत होगी !! ©Andy Mann #अर्थव्यवस्था
Ravi Shankar Kumar Akela
यह हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे समाज, वास्तव में हमारे अस्तित्व को रेखांकित करता है । हमारे जंगल, नदियाँ, महासागर और मिट्टी हमें वह भोजन प्रदान करते हैं जो हम खाते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जिस पानी से हम अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं। हम अपने स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए कई अन्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए भी उन पर निर्भर हैं। ©Ravi Shankar Kumar Akela #adventureयह हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे समाज, वास्तव में हमारे अस्तित्व को रेखांकित करता है । हमारे जंगल, नदियाँ, महासागर और मिट्टी हमें वह भ
Technocrat Sanam
पेट्रोल और डीजल दोनों मिल अतरे-दूसरे दिन पब्लिक को ज्वार-भाटा की कला सिखाएंगे खेतों में मगन रहने वाले किसान सड़कों पर लंगर और लाठी खाएंगे 'इत्तू-सी चीज़' (वायरस) का कित्ता बड़ा-लोहा सभी मानेंगे (बचपन में लेख और निबंध लिखने वाले) सयाने असल में प्रकृति और हरियाली का महत्व जानेंगे पुलिस दरोगा और चौकीदार कारों में मास्क लगवाएंगे लाखों की रैली कर 'साहेब' दो ग़ज़ दूरी का पालन करवाएंगे ऑनलाइन चलने वाली क्लास भी बंद हो जायेगी चुन्नू - मुन्नू, चिल्लर पार्टी पूरा घर सिर पर उठाएगी जब पढ़े लिखे अर्थशास्त्री सभी एक एककर फेल हो जाएंगे तब ठेके और नशेड़ी मिलकर देश की अर्थव्यवस्था बचाएंगे महानुभाव कह गए 'सनम' से देखना- फ्यूचर में इतने भी अच्छे दिन आएँगे गिद्ध-विद्ध चील-कौवे मरेंगे भूखे-प्यासे लोग एक दूसरे को नोच-नोचकर खाएंगे ©technocrat_sanam "समय-असमय" (आख़िरी भाग.. Lockdown की मजबूरी समझ कर झेल लीजिए.. 🤗😛🤭🙏 पेट्रोल और डीजल दोनों मिल अतरे-दूसरे दिन पब्लिक को ज्वार-भाटा की कला स
Technocrat Sanam
के जिसका मुक्कमल होना नामुमकिन सा था कमबख्त वो ख़याल हमने बेख़याली में देखा। लज़ीज़ खाने खिलाता है जो दिन दिन भर लोगों को बस एक सादा निवाला उसकी थाली में देखा। देश की अर्थव्यवस्था बचाने निकला था सुबह घर से हमने शाम उस शख्स को फिर नाली में देखा। ये कैसी मुहब्बत निभाई जाती है आजकल लफ़्ज़ों से किसी की माँ बहन का ज़िक्र हर गाली में देखा। ज़वाब मेरे हाल का सुनते ही ख़ामोश सा हो गया मेरे हाल सा ही कुछ हाल मैंने सवाली में देखा। काँटों की सादगी के सिवा और कुछ नहीं मिलता पर हाँ मुस्कुराकर खिलता हुआ फूल डाली में देखा © technocrat_sanam Tumko dekha👀to ye khyal aaya.. Jijdgi dhup ☀the tum ghna saaya.. 🎶 🎼 🎵 सवाली..🖋 के जिसका मुक्कमल होना नामुमकिन सा था कमबख्त वो ख़याल ह
Technocrat Sanam
मैं मज़दूर हूँ.. 😐 (Plzzz don't like before reading it completely... Plzzz 🙏) मैं मजदूर हूँ हाँ मैं मजदूर हूँ सर्दी-गर्मी-बरसात हर मौसम की मार झेलता हूँ ज़िंदगी को वक्त के ठेले में रख कर ठेलता हूँ मैं हर डगर, हर मोड
Kamaal Husain
बडी होकर करेगी क्या वो गुडिया सोंचतीं हैं अब जहाँ में फैले हैं शैतान उसको नोंच डालेंगे Read the caption.... ना देश का कानून, ना इसकी अर्थव्यवस्था, ना कोई अंगरक्षक , ना इशतेहार की व्यवस्था, ना PM, ना CM, ना DM, काम आया, ना
Ashok Mangal
जनहित की रामायण - 61 रोजगार का सीधा हाथ, जड़ से काट रहें है ! उल्टे हाथ में अन्न बाँट, वाहवाही चाट रहे हैं !! बँटे अन्न की बचत भी, असल में नगण्य ही है ! उससे ज्यादा रकम तो, कर बढ़ाके वसूल ली है !! देश के उत्पादन को घटा आयात बढ़ा रहे है ! अपने हाथों अपनी अर्थव्यवस्था डुबा रहे हैं !! दाने दाने को मोहताजी घर बिठा दिये कामकाजी ! कोर्पोरेट ही संगी साथी, कोर्पोरेट को रखते राजी !! ऋण माफ़ी में बैंको के 10 लाख करोड़ उड़ा दिये ! घाटे में बैंको ने 5 लाख करोड़ गवां दिये !! एनपीए तहत तीस लाख प्लस करोड़ डूब के कगार पर ! आम जन की बैंक जमा, असुरक्षित पांच लाख पार पर !! (कृपया: क्रमशः कैप्शन में पढ़े) ( quote से आगे ) देश की अर्थव्यवस्था टिकी थी जिस जिस आधार पर ! लहुलुहान किया उन्हें, नाना प्रकार के प्रहार कर !! छोटे मोटे व्यापार, बहुराष्ट
Mamta Singh
शराब की दुकान ताे खुलवा दिये साहिब🥰 🥰🥰🥰 अब सुनार की दुकान भी खुलवा दाे माई-बाप🙏🙏 लाँक डाउन में कमाई-धमाई ताे कुछ है नहीं ,बीबी के जेवर कहां बेचेने जायें..... सब कुछ बंद है ,पर शराब की दुकान खुल गयी।सवाल देश की अर्थव्यवस्थ
Sita Prasad
एक ही है- उत्पादन बन्द करना, जब तक प्लास्टिक का उत्पादन बन्द नहीं होगा, आप खरीदार को दोषी नहीं ठहरा सकते। आजकल, खरीदार से कहा जाता है, भटको मत। फिर हर जगह बड़े- बड़े विज्ञापन छापते जाते है। दस रुपये के कुरकुरे या टेढ़े-मेढ़े या लेज के पैकेट में शायद पचास या पचपन ग्राम खाने की चीज होती है। पांच रुपये वाले में शायद बीस ग्राम। खाने