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अविरल अनुभूति
तुम्हे सिर्फ मीठा परमात्मा चाहिए, लेकिन वो मीठा और कड़वा दोनों है। निर्गुण, सगुण, परिपूर्ण⚜️🔱 ©अविरल अनुभूति निर्गुण
निर्गुण #Quotes
read moreसुरेश चौधरी
तन बिगाड़ा मन बिगाड़ा रे डूब डूब कर द्वेष गरल में छोड़ अहंकार जी ले प्राणी प्रेम प्रीत सा सहज सरल में पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का तूने मैली की माया मोह से चदरिया आई क्यूं जिंदगानी पर काली बदरिया गुमान तू मत कर पांच तत्व के चोले पर तेरे तन की इक दिन ढह जायगी अटरिया धन दौलत के पीछे भागा पी हाला क्रोध काम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का माटी के पुतले माटी में मील जायंगे महल मालिया तेरे सब यहीं रह जायंगे सांस सांस बस काम क्रोध धरे रह जायंगे संभल जा प्यारे छोड़ सब प्रभु घर जायंगे कितनी कर ली कमाई इंदु अब पी हरी नाम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का ****** निर्गुण भजन
निर्गुण भजन
read more~आचार्य परम्~
क्यों ढूँढता है तू यूँ मुझे दर बदर आंखें बंद करो तो मैं आऊँ नज़र ।। जिसे खुली निगाहें देख नहीं सकती । यहीं कही छिपा है तेरे दिल के अंदर ।। ~*परम् भाग्यम्*~ निर्गुण..... आत्मा
निर्गुण..... आत्मा
read moreAnurag Sanskar
बन्दे चल सोच समझ के क्यों ये जनम गवाय, बार बार ये नर्तन चोला तुझे न मिलने पाय ॥ बचपन बीता आई जवानी खूब चैन से सोया, गुजर गई अनमोल घडी तो देख बुढ़ापा रोया, इस योवन पे नाज तुझे वो मिटटी मैं मिल जाये, बन्दे चल सोच समझ के...... झूठ कपट से जोड़ा तुमने अपना माल खजाना, काम क्रोध मध् लोभ मैं फास कर प्रभु को न पहचाना, मुठ्ठी बांध के आया जग में हाथ पसारे जाए, बन्दे चल सोच समझ के..... ये दुनिया है सराय है मुशाफिर छोड़ इसे है जाना, कोई किसी का नहीं जगत मैं ये तन है बेगाना, उड़जाये पिंजरे का पंछी पिंजरा साथ न जाये, बन्दे चल सोच समझ के....... निर्गुण भजन
निर्गुण भजन
read moreसुरेश चौधरी
3 दिसम्बर 2022 आज की भजन पदावली नाथ दरस को तरस रहे मेरे नैना। तेरे दरस को नेह स्पर्श को, तरस रहे मेरे नैना ओ मेरे व्याकुल मन आकर, लाओ तुम दिल मे चैना ज्ञान सुधा रस पान कराकर, प्रभु उर को दरस कराकर ओ अन्तर्यामी प्रज्ज्वलित कर, दैदिप्त ज्ञान ज्यूँ दिनकर माना तुम ही हो मात्र अचल, समस्त विश्व है चलाचल हो तेरा संग कल आज कल, इंदु प्रार्थनाओं का फल कर श्रृंगारित अन्तस् विवेक से, बीते भजन में दिन रैना नाथ दरस को तरस रहे मेरे नैना। दोहा: नाथ दरस बिन क्या कहूँ, तरस रहे ये नैन ज्ञान सुधा रस पान दे, भजन करूँ दिन रैन सुरेश चौधरी 'इंदु' ©सुरेश चौधरी निर्गुण पदावली 3 दिसम्बर 22
निर्गुण पदावली 3 दिसम्बर 22 #कविता
read moreParasram Arora
सतयुग की रामायन्न क़ो कलयुग तक किसी तरह खींच लाये हैँ हम और इस लम्बी यात्रा मे राम हमसे बिछड़ गया हैँ लेकिन रावण साथ चला आया हैँ ©Parasram Arora रामायण
रामायण #कविता
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