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नवनीत ठाकुर
White रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीरे-धीरे सिसकता। प्यार से सींचो, तो ये फूल खिलते हैं, वरना हर रिश्ता कांटे जैसा चुभते हैं। प्यार से सींचो, तो ये अमर हो जाते हैं, वरना ये जख्म बनकर सदा रुलाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीर
#नवनीतठाकुर रिश्तों का मकां पत्थरों से नहीं बनता, भरोसे के बिना ये कभी नहीं टिकता। झूठ की दरारें जो इसमें पड़ जाएं, तो हर एहसास रेत में धीर
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक विचित्रः प्रतिद्वन्द्वी . . विधा गहन विचार भाव वास्तविक
read moreIG @kavi_neetesh
White शरद पूर्णिमा उत्सव हमको, केवल यही बताता है। किरणपुंज इस भू पर आकर, अमृतमय हो जाता है।। सबसे निकट चंद्रमा होता, आज रात इस पृथ्वी पर। सोलह सभी कलायें खिलतीं , इंद्रधनुष सी धरती पर।। लक्ष्मी श्री का शुभ आराधन, सबको सुखद बनाता है।। किरणपुंज इस भू पर आकर.......... रात सुई में धागा डालो, नेत्र ज्योति बढ़ जायेगी। खीर खिलाओ खुद भी खाओ, उम्र बहुत बढ़ जायेगी।। जो कोजागर होकर रहता, वो ही प्रभु को पाता है।। किरणपुंज इस भू पर आकर............ कृष्ण मनाते महारास हैं, शिव गोपेश्वर हो जाते। महारास की इस लीला में, मन वृंदावन हो जाते।। अंतर्मन आनंदित होता, उत्सव मुदित मनाता है।। जो कोजागर होकर रहता.......... ©IG @kavi_neetesh पवित्र शरद पूर्णिमा के अवसर पर :::::::::::::::::::: जो कोजागर होकर रहता ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
पवित्र शरद पूर्णिमा के अवसर पर :::::::::::::::::::: जो कोजागर होकर रहता ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White कभी कभी गिरने वाले भी अक्सर दौड़ में सफल हो जाते है वक्त के हाथो मजबूर लोग भी अक्सर जीवन में मजबूत बन जाते है इसलिए कहा है की हौसला बढ़ाना चाहिए न की किसी का हौसला तोड़ना चाहिए क्युकी वक्त सबका बदलता है ये हमेशा याद रखना ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Ratan_Tata कभी कभी गिरने वाले भी अक्सर दौड़ में सफल हो जाते है वक्त के हाथो मजबूर लोग भी अक्सर जीवन में मजबूत बन जाते है
#Ratan_Tata कभी कभी गिरने वाले भी अक्सर दौड़ में सफल हो जाते है वक्त के हाथो मजबूर लोग भी अक्सर जीवन में मजबूत बन जाते है
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