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ritesh Goswami
ha 😁 hai kya hua hai kya baat karte ho na ©ritesh Goswami #Remember wu
Sonali Gupta
आज वादियां सुनसान सी हैँ, वो वृक्ष भी गुमनाम सी हैँ, हलकी चलती हुई हवाएं भी, थोड़ी बेनाम सी हैँ, वो शख्स भी सहमा हैँ, वो लहरे भी थमी हैँ, वो चिंगारी भी धीमी हैँ, वो चट्टानें भी रुकी हैँ, आज ये सन्नाटा क्यों? आज ये शांति क्यों? शायद मेरी सघर्षों का बादल घिरा हैँ, अब जिंदगी कुछ भूचाल सी हैँ. #wu #faraway
Sonali Gupta
किताब हूं मैं, एक ख़िताब हूं मैं, कहीं राज़ छिपे हैँ तो, कहीं अधूरी ख्वाहिशे, कुछ के दर्द छिपाई हूं तो, कुछ के सपने, कितनों की भविष्य हूं मैं, कितनों की ख्वाब हूं मैं, किताब हूं मैं, एक ख़िताब हूं मैं, मज़िल को पाने की, तालश हूं मैं, जीवन को जितने की, आश हूं मैं, हज़ारों की दरखास्त हूं मैं, तुम्हारी हर जबाब की, सवाल हूं मैं, ढूंढ ना पाओ ऐसी, पहेली हूं मैं, सोच ना पाऊं, ऐसी खोज हूं मैं, किताब हूं मैं, ख़िताब हूं मैं. #wu #writersunplugged
kaustabhi tank
फिर मिलेंगे- मत पूछ क्या आलम है, यह दिल ज़ार ज़ार है| तेरी मोहब्बत के आगे, हुए चूर बार-बार है| दिन हफ्ते हम सब गिनते हैं, सारे महीने वो बेमिसाल हैं| नाराजगी और दूरियां भले ही ज्यादा हों,पर तुझसे इश्क भी बेशुमार है| तुझ बिन जीना नामुमकिन है, यह नींद न जाने कब से फरार है, तेरी आहटों में अपना सुकून पाना, पहले दिन से बरकरार है| तूफा है तेरी सांसे, और आंखें बस कमाल हैं| बदन चिंगारी है तो, होंठ भी खिला गुलाब है| सीने से लगाना अपने और बहते अश्कों को थाम लेना, आखिर कैसे करते हो ये सब? आज फिर वही सवाल है| तू जो रूबरू हो मेरे, यह रूह मेरी बिखरने को भी तैयार है| तेरे अल्फाज, तेरी खुशबू, यही तो इश्क-ए-जुनून के निशान हैं| हां कातिल है तेरी हंसी, तो तेरा रोना भी दर्दनाक है| पागलपन अब ये मेरा, स्याही में मिलने को बेताब है| तू कभी काली रात ही सही, पर तू ही मेरा आफताब है| माशाल्लाह तेरी नजर नजर, आज भी वही मोहब्बत बयां करती है, ठहर जाती है मुझ पर, सौ तरीकों से शुक्रिया अदा करती है| बस रांझे तू मेरे रूठ ना, जब साथ तेरे तेरी हीर है| हकीकत से अब तू जूंझ ना, मैं दरिया अगर तू नीर है| तेरे एक बार टूट जाने से, जख्म हजार आते हैं| लिखूं कागज पर स्याही से और दाग कई छप जाते हैं| फिर भी लिखा तेरे बारे एक खत मैंने, शायद अब देती हूं तुझे सुना- खुदा का फरिश्ता था या खुदा, जिंदगी कब बना पता ही ना चला| फितूर की तरह सिर पर चढ़ गया वो, वही किस्मत और हाथों की लकीरे बन गया वो| सोचती थी बस इतना कि सिर्फ एक तरफा है और मेरे सोचते-सोचते रूह में बस गया वो| कई बार बोला उसने कि तुझ में बसना है, कहते-कहते मेरा जहान बन गया वो| यही मेरी इश्के दास्तां है, बेहद प्यार के बीच कुछ मीलों का फासला है| दरिया है यह जिंदगी, कभी बहकर तो कभी ठहर कर, यह सारे रास्ते काट लेंगे| सरहदें पार कर इश्क किया था हमने, क्या ये फासले हमें बांट देंगे? फिर मिलेंगे कहकर तूने जाने दिया था, सुकून की चादर ओढ़ाकर मुझे विदा किया था| रांझे तू मेरे टूट ना, हां साथ तेरे यह तेरी हीर है|| ©kaustabhi tank #wu #writersunplugged