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Subhasish Pradhan
आज बाजार में मेरे आँखों ने रक्त से रक्त का अद्भुत मिश्रण देखा कुछ लोग अपने शरीर से हरा रक्त बहा रहे थे कुछ लोग अपने शरीर से नारंगी रक्त बहा रहे थे और कुछ लोग मिलकर आरक्षण और असहिष्णुता का रक्त बहा रहे थे फिर सारा रक्त मिलकर सड़क पे लाल रंग में परिबर्तित हो गया।। #रक्त #मिश्रण #हरा #लाल #असहिष्णुता #आरक्षण #Yqbaba #Yqdidi
Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Rakesh Kumar Dogra
मैने बहुत रौशनी डाली दूर तक अन्धेरा ही अन्धेरा था, साम्राज्य इसे कहते हैं डेमोक्रेसी के जुगनुओं। #NojotoQuote असहिष्णुता, बोलने की आज़ादी कोई नहीं चमका, रौशनी में दीए सबने जलाए।
Subhasish Pradhan
कभी कुछ न होने का दुःख कभी कुछ खोने का डर है, इंसान तो आम हूँ फिर भी आम इंसान से डर है!! #नसीर_उद्दीन_शाह की बयानबाजी के बाद फिर सफ़ाई देना मुझे अच्छा लगा 😂😂 #असहिष्णुता #डर #yqdidi #yqhindi #pinta_quote
prashant Singh rajput
Call Drop मीनिंग इन हिंदी क्या है कॉल ड्रॉप जानिये हिंदी मे ? पूरा पढ़े नीचे दिए गए लिंक पर तुरंत क्लीक करें 👇👇👇👇👇👇👇 https://techadvicesps0
DrLal Thadani
हम उन्मांदता को रोके हम असहिष्णुता को बढ़ावा दें डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे नमस्कार लेखकों।🌺 हमारे #rzhindidualcollab पर Collab करें और इसे अपने शब्दों से पूरा करें। हमारा पिन किया गया पोस्ट पढ़ना न भूलें😍 जरूर
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
Tarun Vij भारतीय
सियासत ने ऐसा खेल रचा, के तिरंगा भी रंगों में बंट गया इसलाम को हरा, हिन्दू को भगवा दो रंगों में ऊंट गया बस रह गया बाकी रंग सफेद, मुर्दा लाशों को ढकने को आवाम पर सियासी नशा है चढ़ा मज़हबो में बंटने को ना जाने क्यों इक दूजे के खून से आवाम रंगा है जब हर किसी के दिल में बसता इक तिरंगा है देशभक्त इस ओर भी है, देशभक्त उस ओर भी है फिर क्यों राम अल्लाह के नाम पर, अखलाक चंदन माटी होते हैं क्यों जलते हैं शहर आए दिन, और तिरंगा जलता है सियासत की इस जंग में कोई सियासी क्यों नहीं मरता है कोई सियासी क्यों नहीं मरता है... (Read Caption too) रंग बिरंगा मुल्क था वो, जहां होड़ लगी थी रंगों में देशभक्ति यहां ज्यादा बहती है किसकी रगो में एक ओर खड़ा था हरा रंग, दूजी ओर जोर में भगवा था