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Praveen Jain "पल्लव"

#5LinePoetry खेवैया के हाथों नैया डौल रही है #5LinePoetry

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#5LinePoetry  पल्लव की डायरी
आस्था के समुंदर में नाव डौल रही है
खेवैया के हाथों जिंदगी डौल रही है
महामारी के ऐलान कर सरकार सो रही है
जनता अपने अस्तित्व बचाने के लिये
सिस्टम  से जद्दो जिहाद कर रही है
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #5LinePoetry
खेवैया के हाथों नैया डौल रही है

#5LinePoetry

Samir Samrat

सुप्रभात। नमस्कार। जय माता दी । नोजोटो बोलो दिल से 🙏❤️🙏। मेरा गाना सुनें । पसंद आने पर कृपया लाईक करें शेयर करें कमेंट करें । सुपबॅ कौलै

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Samir Samrat

नमस्कार। सुप्रभात। जय माता दी । 🙏❤️🙏। नोजोटो बोलो दिल से । मेरा गाना सुनें । चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैने सोंचा था । हां तुम

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Samir Samrat

नमस्कार। सुप्रभात। जय माता दी । 🙏❤️🙏। नोजोटो बोलो दिल से । मेरा गाना सुनें । चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैने सोंचा था । हां तुम

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Writer1

दोस्त से झगड़ा *********** दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा, बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला, एक दिन बाद कुछ यूं बि #yqdidi #YourQuoteAndMine #रस #हास्य_रस #collabzone #yqcollabzone #czहास्य_रस

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दोस्त से झगड़ा
***********
दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा,
बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला,

एक दिन बाद कुछ यूं बिगड़ी, 
उसने थथलाते  हुए कहा," मुझे थाने थाना जाना है,
बस फिर क्या था दोस्त की इच्छा जानते हुए,
हम उसको थाने ले गए, वह मुझसे कुछ यूं भड़का,
वह स्वभाव का थोड़ा गर्म, कहने लगा यह कहां पर ले आया है,
"थाने की भूख लगी थी, यहां क्यों तू लाया है"
हम स्वभाव के नरम, इसका मतलब यह नहीं कि हम हैं बेशर्म,
हम भी भड़क पड़े, जा पहले ठीक से बोवना सीख ले, 
खाना और थाना अलग बात है,
जिस की इच्छा जताई थी, हमने तुम्हारी वही बात पुगाई थी।

फिर क्या हो गए जी शुरू,
उसने कहा:   मुझे "अक्ल का कच्चा" 
मैं:  कहा बेजुबान था ,कहा था बच्चा,
" मोटी तोंद, अकल के खोटे, सीख जाके बोलना ओ मोटे"
दोस्त:मेरा मजाक उड़ाते हो देखकर डील डौल मुझे मोटा क्यों बुलाते हो।
मैं: देख बे-ढंगा शरीर चलता है, पर अकल पे पर्दे हो तो वो व्यंग का पात्र बनता है,
बात यह उसकी समझ आ गई, मेरी बात उस को भा गई।
हम दोनों जोर से हंसने लगे, गिले-शिकवे मिटने लगे।

जाते-जाते उसने कहा" तलो फिर तल मिलते हैं , मेरे घर थाने पे,
हंसी को दांतो तले दबाते हुए मैं अपने घर की तरफ बढ़ा। दोस्त से झगड़ा
***********
दोस्त एक मोटा तगड़ा, बुद्धि उसकी कम है ज़रा,
बात उसकी समझ ना आए, बोलता है थोड़ा थथला थथला,

एक दिन बाद कुछ यूं बि
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