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Dr. Bhagwan Sahay Meena
मां बिन घर का माहौल अजीब था। आंगन में दरार और दालान उदास था। छत से भी उदासियां टपकती दिखीं, मुंह बाए खड़ा दरवाजा सुनसान था। ओ मां! तेरी कमी इस कदर खली की, तेरे घर का ज़रा - ज़रा परेशान था। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani बिना मां के
paritosh@run
#Pehlealfaaz वो अब ख़ुद ख़्वाबों में आ कर रोज़ सीने से लिपट जाते हैं... जिन्हें आज तक उनकी इजाज़त के बिना हमने छुआ तक नहीं... इजाज़त के बिना...
HV Dileep
माना कि तुम बरसने वाले बदल हो कहि ओर जाकर बरस जाओगे पर कितने दिन.. हम तो हवा बन चुके है सब की सांसो में जाके जनाव हमे कैसे भूल पाओगे .....HV Dileep किसी के बिना
Ankit Mishra
तेरी नागवारगी इस कदर खटने लगी है कि मुझमें मेरी ही रूह भटकने लगी है। इससें पहले ये मेरा सब कुछ बर्बाद कर दे.. मुझे खुद से मिला और आबाद कर दे.. थोड़ा सुकू लेने दे मुझे अपनी रवायतो पर मुझे न सही इस रूह को ही आज़ाद कर दे। बिना शर्तो के
Gurudeen Verma
शीर्षक - बिना आमंत्रण के ------------------------------------------------------------ हाँ, तू बहुत खुश है, और बैचेन भी है उनके लिए, अपनी खुशी बाँटने के लिए, उनको यह याद दिलाने के लिए, कि उनसे तुमको कितना मोह है, और लाया है साथ में तू, कुछ फूल उनके लिए, ताकि खुश होकर वो फूलों के साथ, तुमको भी खुशी से स्वीकार करें। यह सोच रहा है तू , कि तुम्हारे विजय होने पर, और लौटकर तुम्हारे उनके पास जाने पर, वो तुम्हारे स्वागत में एक महफ़िल करेंगे, दौड़कर वो तुमको गले लगायेंगे, और बहुत खुश होंगे वो तुमसे मिलकर। मगर क्या तू भूल गया, कि कब था कल उनके पास समय, तुमसे मिलने और बात करने के लिए, उनके साथ तुमको रखने के लिए, अपनों की तरह तुम्हारे साथ सम्मान करने के लिए, अपना समझकर तुमसे रिश्तें निभाने के लिए। मगर तू तो जा रहा है वहाँ, छोड़कर अपने सभी उसूलों को, अपनी पिछली बर्बादी को भूलकर, उनके द्वारा अपने पिछले अपमान को भूलकर, कितनी चमक होगी उनकी आँखों में, तुम्हारे वहाँ जाने पर उनके बिना आमंत्रण के। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #बिना आमन्त्रण के
Prashant Mishra
महफिलें हैं अधूरी, शायरों के बिना दिल अधूरा सा है, दिलबरों के बिना फूल जैसे अधूरा है खुशबू के बिन ज़िंदगी है अधूरी, "दोस्तों" के बिना है अधूरा सफ़र, रास्तों के बिना है अधूरा सा घर,वास्तों के बिना मनोरंजन के साधन बहुत हैं मगर है अधूरा शहर, दोस्तों के बिना --प्रशान्त मिश्रा #"दोस्तों के बिना"
PRAVEEN YADAV
चलो आज फिर मुस्कुराया जाए बिना माचिस के कुछ लोगों को जलाया जाए ©PRAVEEN YADAV बिना माचिस के