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Ayesha Aarya Singh
लग जा गले प्रिये , तुम्हारा ये स्नेहिल आलिंगन नवरस सा महकाता हैं समां ह्रदय में नव तरंग बन , बसंती बयार संग लाता हैं || 🤗💯 ©Ayesha Aarya Singh #प्रिये ,तुम्हारा ये स्नेहिल आलिंगन 🤗 नवरस सा महकाता हैं समां ह्रदय में नव तरंग बन , बसंती बयार संग लाता हैं || #hug #Emotion #Ayesha #fee
Divya Joshi
हमसफ़र राह तुम्हारी क़दम मेरे हों, आँधी तूफ़ान या रेत के ढेरे हों, चलना हमेशा साथ- साथ। सही ग़लत का भेद कहीं न हो, अविश्वास का ज़हर कभी न हो, बस चलना तुम साथ- साथ। शहद से मीठे बोल भले न हों, पुराने वो खेल चाहे न हों, बस चलना तुम साथ- साथ। यौवन का सूरज चाहे ढल जाए, बसंती बयार साथ छोड़ भी जाए, बस चलना तुम साथ- साथ। मुश्किलों भरी राह हो, सिर्फ काँटें न कोई ग़ुलाब हो, फ़िर भी चलना तुम साथ- साथ। मंज़िल का भी पता न हो अगर, आसान या मुश्क़िल कैसी भी हो डगर, कभी न छोड़ना हाथ, बस चलना तुम साथ- साथ। बस चलना तुम साथ- साथ। (स्वरचित) dj कॉपीराई ©Divya Joshi ख़ून का रिश्ता तो नहीं…मगर उनसे कम भी नहीं… अपने अपने "हमसफ़र" के साथ पढ़ें और और लगे हाथ नीचे कॉमेंट्स में अपने विचार भी व्यक्त कर दें। ह
Parul Sharma
अब जाओ भी ठंड आ गया बसंत क्यूँ बादलों के पायदान पर लौट-लौट आती हो क्यूँ कोहरे की " चादर " बार-बार बिछाती हो टूट रही है सूरज की ठिठुरन,बिखर रही है किरन-किरन अब जाओ ......... आ गया बसंत कलीयाँ खिल चुकी हैं, डालियाँ लद गयी है पत्तियाँ दर्पण बन,दिखा रही उनका यौवन। प्रकृति पूरे श्रंगार पे है,वातावरण राग मुग्ध है। सूरज चाँद तारे दृश्य देखने को आतुर है । अब हटा भी दो कोहरे की धुन्ध। आ गया बसंत अब जाओ ..... आ गया बसंत चिड़िया गाती डाली-डाली,प्रेमी-युगल लिखते पाती पुष्प,मृग,मयूर झूमते नाचते गाते,वृक्ष प्रेम से झुक जाते शिव-पार्वती प्रेम की शिवरात्री साक्षी बसंती बयार प्रेम माधुर्य गुनगुनाती। सबके अपने-अपने प्रेम प्रसंग। आ गया बसंत अब जाओ ...आ गया बसंत रंगों का मेला सजा कण-कण में इन्द्रधनुष चमका धरती ने ओढ़ा केसरिया "दुशाला(चादर)" धूप लगे जिसमें झिलमिल तारा लहराता,बलखाता क्षितिज पर स्पर्श करता गगन सब पर चढ़ा बसंती रंग आ गया बसंत। अब जाओ ... आ गया बसंत मन बन गया प्रकृति का शागिर्द आँखें बाबरी देखती इर्द-गिर्द बसंत रोज नया पाठ पढाती बदरी आकाश पर लिखती-मिटाती कविवर लिखते कविता औ और छंद पे छंद आ गया बसंत। अब जाओ ... आ गया बसंत पारुल शर्मा अब जाओ भी #ठंड आ गया बसंत क्यूँ बादलों के पायदान पर लौट-लौट आती हो क्यूँ कोहरे की " चादर " बार-बार बिछाती हो टूट रही है सूरज की ठिठुरन,बिख
AK__Alfaaz..
💠मेरी दोस्तु आपके लिए💠 कल भोर की, पहली सुनहरी किरण के साथ, मैने रौशनी की कुछ रेज़गारी लेकर, अपनी बुशर्ट की जेब मे रख ली, और..टाँक लिए कुछ सितारों के बटन, कल स्वाति की, पहली बरसी बूँद के साथ, मैने सहेज लिए कुछ मोती, नैनों के सागर मे अपनी, और..देखा नदियों के सागर से, मिलन के इंतजार को, Dedicating a #testimonial to Karishma Singh #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 💠मेरी दोस्तु आपके लिए💠 कल भोर की, पहली सुनहरी किरण के साथ, मैने र
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💠मेरी प्यारी आदरणीय मईया💠 ⚜️जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ⚜️ नूतन नवल तेजोमय छवि सम अनल, कर वंदन कर प्रणिपात बारम्बार तुम्हें, दिव्यम् चक्षु ललाट अति ज्योतिर्मय, सूर्य-चंद्र आभा जाके मुखमण्डल पे, हस्त विराजे सुखधात्री माँ विष्णुप्रिया, कंठ पे राजे माँ ज्ञानदायिनी महाश्वेता, मस्तक साजे अलौकिक अरूण अरूणिमा, पदाँचल माँ धरा कर कमलन् तिलक लगावैं, माँ सिया सदृश जाकी छवि निराली अनुपम, माँ गंगा जैसो पतित पावनी निर्मल निश्छल, अद्भुत अभिनव अनंत गुण महाज्ञानी, प्रियंवदा, प्रियम शुचि सुधा विनीता मईया रानी, Dedicating a #testimonial to Anju Singhमुबारक मुबारक मुबारक, आपको यह आपके जन्मदिन का, पावन त्योहार मुबारक, महकती सुबह का श्रृंगार मुबारक,
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सुरेश्वरी सुलक्षणा, अनुपम काव्य अनुपमा, प्रियदर्शिनी दिव्य ज्ञानदायिनी, परम पुनिता प्रियंवदा, मस्तक पर है जिसके, आलौकिक सूर्य सा तेज चमकता, दैवीय है जिसका अद्भुत प्रेम सदा, भावों में है जिसके, स्नेहपूर्ण अलंकृत अलंकार छिपा, हृदय श्वेत स्वच्छ, उज्जवल निश्छल निर्मल, स्वभाव सरल सहज, अविरल बहती गंगा सम, मन उजलित चंद्र कांति सा, मुखमण्डल सुंदरतम, आभामंडित है जिसके, सुरेश्वरी सुलक्षणा, अनुपम काव्य अनुपमा, प्रियदर्शिनी दिव्य ज्ञानदायिनी, परम पुनिता प्रियंवदा, मस्तक पर है जिसके, आलौकिक सूर्य सा तेज चम
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💠प्यारी जीजी माँ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💠 कल सावन की, पहली बरसात जब पड़ी भूमि पर, धरती खिलखिला कर हँस पड़ी, रोम-रोम उसका प्रफुल्लित हो, आनंद आलाप करने लगा, कल भूमि ने, अपने हृदय में गेहूँ के दाने को, एक कोना रहने को दिया, उस गेहूँ के दाने ने अपने प्रेम से, धरती का मरू मकान, फिर हरा भरा कर दिया, कल सूरज ने, जब अँगड़ाई ली, तो पवनों ने अपना रास्ता बदलकर, उसकी पगडंडियाँ बुहार दी, और..आकर पुरवईया के संग, उसकी तपती देह पर, अपना पंखा झलने लगी, 💠प्यारी जीजी माँ जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💠 कल सावन की, पहली बरसात जब पड़ी भूमि पर, धरती खिलखिला कर हँस पड़ी, रोम-रोम उसका प्रफुल्लि
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कल, साँँझ ढ़ले, रजत चंद्रिका की, श्वेत रश्मियों के नीचे, प्रयाग के, पावन संगम से निकली, दुग्ध धवलित, निर्मल माँ गंगा, काशी के अस्सी घाट पे, महादेव के पग पखारती, जा पहुंची तृप्ति देने, कल, साँँझ ढ़ले, रजत चंद्रिका की, श्वेत रश्मियों के नीचे, प्रयाग के, पावन संगम से निकली, दुग्ध धवलित, निर्मल माँ गंगा,
k. k
बसंती तुम नाचोगी तो , गब्बर तुझे पैसे नहीं देगा, बसंती फ्री में तुम....... # बसंती