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Arun Shukla ( मृदुल)
Alka Dubey
"युद्ध चाहे अधिकार के लिए हो या प्रतिकार के लिए,विध्वंस का दंश सबको झेलना पड़ता है|" अलका दुबे*✍🏻 #RussiaVsUkraine #ज़िन्दगी
read moreSwapnil Parab
डिचोली तालुक्याचे मामलेदार प्रविणजय पंडित यांनी विध्वंस पथकाच्या मदतीने गाव कुरचिरे डिचोली तालुक्यातील सर्वेक्षण ( 214/5 survey no.)मधील सर
read moreHarshit Nautiyal / हर्षित नौटियाल
BJP को कहना चाहता हूं- राजनीति सब करते हैं, चुनाव में हराने की सब कोशिश करते हैं लेकिन आपने लाखों लोगों के आशियाने के बारे में एक बार नहीं #न्यूज़
read moreचाँदनी
आत्मा नाश कर देती है क्षितिज से निकालते रंग बिरंगे रेशम सी किरणों को इनका खेल विध्वंस के कगार पर ला देता है नाश सिर्फ तन का होता है आत्मा का नहीं वो तो नाश के बाद फूल चढ़ाती है मौत पर नहीं आपके बिताए खुशी, दुख द्वेष, घृणा और अकारण सहे गए मतिभ्रम पर वो जोर जोर से हटृठास करती है आपके मृत्य शरीर के सामने समर्पित होने के वावजूद निगला हुआ शरीर??? और चेहरे पर भारी झुर्रियां गवाह है सीचते छल कपट और झुलसती काया की किसका भय, किसकी आरजू, कौन सा शरीर अब उसका कोई नहीं.... अंत मे रोदन करते हुए आत्मा सिकुड़ जाती मिट्टी मे मिल भी नहीं पाती और उसे तृप्ति देने के लिए अकाल आता है वो मिट्टी को आग बना देता है फिर अद्भुत तांडव होता है इस प्रकृति का विधाता मोक्ष प्रदान नहीं करते धरती नहीं रिसती निष्ठुर विधि गर्दिश मे उसे रौंद देती है और तब बैकुंठ कर्मों का हिसाब माँगता है जैसा कर्म वैसा फल एक एक ज़द का उकूबत मिलता है बेहिसाब.... बेहिचक ©चाँदनी आत्मा नाश कर देती है क्षितिज से निकालते रंग बिरंगे रेशम सी किरणों को इनका खेल विध्वंस के कगार पर ला देता है इनकी किसमे हमे राहत नहीं देती
आत्मा नाश कर देती है क्षितिज से निकालते रंग बिरंगे रेशम सी किरणों को इनका खेल विध्वंस के कगार पर ला देता है इनकी किसमे हमे राहत नहीं देती
read moreSumeer Bhati
शहादत मौन है। मुतमइन है। आज फिर लूट रहा है। हर अश्क उस का वेदना की चीख बन कर गिर रहा है। वो बूढ़ा किसान फिर मन में साहस भर रहा है। लाल उस का #ValentineDay #14feb #PulwamaAttack #Life_experience #14febpulwamattack
read moreGRHC~TECH~TRICKS
जानिए? हर धर्म का इन्सान स्वयं का शत्रु कैसे बन रहा हैं?(A) 1.अपने शरीर की क्रियाऔ का हमेशा एक जैसा कार्य का समझने के कारण भी एक उदाहरण है शत्रु बनने का। 2.आलस्य और निद्रा के अति पल पर नियंत्रण नहीं कर पाना। 3.अपनी शक्ति के बारे में और संस्कारो का निरंतर लुप्त होना। 4.अपने माता -पिता के अमृत ज्ञान को तुच्छ ज्ञान समझना और माता- पिता को अपने स्वाध्याय ज्ञान से रू ब रू नहीं कराना भी एक बड़ा उदाहरण है। 5. संसारिक मोह-माया, अधर्म,तुच्छ संगत से संग्रह ज्ञान पर शीघ्र ही विश्वास करना अपना विध्वंस करने का । यह भी एक गुप्त उदाहरण हैं। 6.धैर्य न होने और परिश्रम नहीं करने के साथ -साथ अज्ञान रुपी अंधकार को न त्यागनाअर्थात स्वयं को भी नहीं जानने का एक कटु उदाहरण है । अपने शत्रु होने का। 7. खुद को परम का अंश नहीं मानना इस संसार में और अज्ञान रुपी स्वार्थ से जानने पर सो अहम् खुद के द्वारा होना समझना प्रत्येक कार्यो में। 8. भगवान को स्वयं के हृदय में होते हुएं भी उसको संसार में निरंतर दुढनां का कारण शत्रु बन रहा हैं इंसान के लिए। 9. स्वयं को ही करना पड़ेगा उद्धार अपना हर धर्म के इन्सान को पाखण्ड और अधर्म पर चलने से खुद का वह अपने पुर्वजोंं का मान-सम्मान को भ्रष्ट करने का कारण बनेगा। 10.ह्रदय से आयें प्रत्येक एक -एक संदेश को समझना सीखिएं, हर इन्सान को उसको इग्नोर करना और उसे लेखनी प्रकाश से अपना ह्रदय प्रकाश से छुपाकर रखना शत्रु का महान उदाहरण है इस पृथ्वी पर। शेष जानकारी अगली पोस्ट(B) में मिलेगी . ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #mohabbat #New #treanding #Trading #viral जानिए? हर धर्म का इन्सान स्वयं का शत्रु कैसे बन रहा हैं?(A)
#grhctechtricks #mohabbat #New #treanding #Trading #viral जानिए? हर धर्म का इन्सान स्वयं का शत्रु कैसे बन रहा हैं?(A) #विचार
read moreMysterious Girl
must read #caption 👉सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने मंदिर मुक्ति के प्रयास किए। 7 अगस्त 17 #Trending #nojotohindi #nojotoapp #Phalsafa_e_zindagi
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