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rd dhivar
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Mukesh Poonia
हमें हार नहीं मानी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी हार नहीं मानना जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। . ©Mukesh Poonia #walkalone हमें #हार नहीं मानी चाहिए, क्योंकि #कभी-कभी हार नहीं मानना #जीत से ज्यादा #महत्वपूर्ण होता है।
PФФJД ЦDΞSHI
दोस्तों liveshow करने से ऐसा लगता है कि हाँ life हैं हम हैं और बहुत कुछ कर सकते हैं अपनी public के दोस्तों के समक्ष अपनी कला का प्रदर्शन कर नाम शोहरत कमा सकते हैं अपने आत्म विश्वास को जगा सकते हैं अभी से हार नहीं मानना जीवन जीना हैं और ओरो को भी इसके मायने बताने हैं तो बाकी बाते live होंगी आपकी दोस्त पूजा उदेशी के साथ get ready on 31 दिसंबर 12.00 am morning 🤗🙏🏻🤝🤩 ©ᴩᴏᴏᴊᴀ ᴜᴅᴇꜱʜɪ दोस्तों liveshow करने से ऐसा लगता है कि हाँ life हैं हम हैं और बहुत कुछ कर सकते हैं अपनी public के दोस्तों के समक्ष अपनी कला का प्रदर्शन कर
Ashutosh Mishra
जय माता दी 🙏🏻 मुझे और कुछ नहीं चाहिए मां, तेरे चरणों की धूल ही बहुत है मेरे लिए। कर उसपर भी रहम,जो सिर नहीं झुकाते तेरे दरबार में। ममता की मूरत है तू, और वो अभिमान में है खोए हुए। वो नहीं जानते महिमा तेरी, या जानकर भी नहीं मानना चाहते। कुछ भी हो मां मेरी,,तू उनकी भी किस्तम चमका दे। हैं मां वो भी तेरी संतान,तू उनकी भी किस्तम चमका दे। पूत कपूत हो सकतें हैं, पर माता कुमाता नहीं हो सकती। हे जगजननी करो उद्धार जगत का,भय ताप से है व्याकुल जग सारा। हे भय हारणी संताप नाशनी, अपने जन का कल्याण करो। क्षमा क्षमा हे मात भवानी, क्षमा मांगू मैं बारम्बार। आज विपत्ति में किसे पुकारू, है ना मां कोई और सहारा। रक्षा करो,रक्षा करो,हे जगजननी जगदम्बा, हे ममता मयी जगदम्बा। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #navratri मुझे और कुछ नहीं चाहिए मां, तेरे चरणों की धूल ही बहुत है मेरे लिए। कर उसपर भी रहम मां, जो सिर झुकाते नहीं तेरे दरबार में। ममता की
Sonu Goyal
GRHC~TECH~TRICKS
जानिए? हर धर्म का इन्सान स्वयं का शत्रु कैसे बन रहा हैं?(A) 1.अपने शरीर की क्रियाऔ का हमेशा एक जैसा कार्य का समझने के कारण भी एक उदाहरण है शत्रु बनने का। 2.आलस्य और निद्रा के अति पल पर नियंत्रण नहीं कर पाना। 3.अपनी शक्ति के बारे में और संस्कारो का निरंतर लुप्त होना। 4.अपने माता -पिता के अमृत ज्ञान को तुच्छ ज्ञान समझना और माता- पिता को अपने स्वाध्याय ज्ञान से रू ब रू नहीं कराना भी एक बड़ा उदाहरण है। 5. संसारिक मोह-माया, अधर्म,तुच्छ संगत से संग्रह ज्ञान पर शीघ्र ही विश्वास करना अपना विध्वंस करने का । यह भी एक गुप्त उदाहरण हैं। 6.धैर्य न होने और परिश्रम नहीं करने के साथ -साथ अज्ञान रुपी अंधकार को न त्यागनाअर्थात स्वयं को भी नहीं जानने का एक कटु उदाहरण है । अपने शत्रु होने का। 7. खुद को परम का अंश नहीं मानना इस संसार में और अज्ञान रुपी स्वार्थ से जानने पर सो अहम् खुद के द्वारा होना समझना प्रत्येक कार्यो में। 8. भगवान को स्वयं के हृदय में होते हुएं भी उसको संसार में निरंतर दुढनां का कारण शत्रु बन रहा हैं इंसान के लिए। 9. स्वयं को ही करना पड़ेगा उद्धार अपना हर धर्म के इन्सान को पाखण्ड और अधर्म पर चलने से खुद का वह अपने पुर्वजोंं का मान-सम्मान को भ्रष्ट करने का कारण बनेगा। 10.ह्रदय से आयें प्रत्येक एक -एक संदेश को समझना सीखिएं, हर इन्सान को उसको इग्नोर करना और उसे लेखनी प्रकाश से अपना ह्रदय प्रकाश से छुपाकर रखना शत्रु का महान उदाहरण है इस पृथ्वी पर। शेष जानकारी अगली पोस्ट(B) में मिलेगी . ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #mohabbat #New #treanding #Trading #viral जानिए? हर धर्म का इन्सान स्वयं का शत्रु कैसे बन रहा हैं?(A)