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तेजस
चाँद का टुकड़ा कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो। जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।। दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से, बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो। ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने, पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो। खुली जुल्फों की घटा में है चाँद का टुकड़ा, हो जाये ईद देख कर ये चाँद इज़ाज़त दे दो। (पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो। जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।। दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से, बुझा लूँ आँखों की
Brandavan Bairagi "krishna"
कैसे कह दूँ तुमसे मोहब्बत नही है रात दिन ख्यालों में रहते हो तुम। कैसे कह दूँ।
Sanjay Ni_ra_la
कैसे कह दूँ कि तेरा इंतजार अब रहता नहीं है आइने में तेरा चेहरा अब मुझे दिखता नहीं है दफ्न हो गए सारे जज़्बात और एहसास निराला कैसे कह दूँ झूठ, कि तूँ मुझमे अब रहता नहीं है 23 feb 2023 ©Sanjay Ni_ra_la कैसे कह दूँ
कुमार आशू ..🖋️
"मैं बची जिंदगानी तुम्हें सौंप दूँ..! रूप की हर निशानी तुम्हें सौंप दूँ..! है ख़ुदा की कसम! गर मेरा बस चले.., प्यार की हर कहानी तुम्हें सौंप दूँ..!!" 🎤कुमार आशू #NojotoQuote तुम्हें सौंप दूँ
Kailash Kandpal
आज न जाने फिर से कुछ बात याद आयी है जो ये चाँद भी पूनम के रूप में आयी है दर्द तो बस इतना दिखता है कि वो मेरे लिए अमावस बन के आयी है कुछ कह दूँ ज़रा
SILENTKNIGHT
बेशक तुम्हें चाँद कह दूँ मै.. पर तुम्हें गैर देखें मुझे मंजूर नही।। Sksilent ✒️✒️ ©🆂🅸🅻🅴🅽🆃_🅺🅽🅸🅶🅷🆃_ बेशक तुम्हें चाँद कह दूँ मै.. पर तुम्हें गैर देखें मुझे मंजूर नही।। Sksilent ✒️✒️ #Karwachauth
Abhishek Rajhans
तुम चाहे जितनी कोशिश कर लो मुझसे दूर जाने की मुझे भूल जाने की पर ऐसे कैसे भुलाने दूं तुम्हे तुमसे की हुई हर छोटी-छोटी बाते और कभी-कभी ही सही पर हुई जो मुलाकाते उसे यादों के बक्से से हर रोज निकाल कर तुम्हारे सामने ला दूंगा ऐसे तो नहीं भुलाने दूंगा तुम्हे कॉलेज के पहले दिन से ले कर आखरी दिन तक और पहली पीरियड से आखिरी पीरियड तक कोई ऐसा था ना जो सिर्फ तुम्हें देखता था न जाने कितनी नजरो से खुद को छिपा कर तुम्हारी बिंदी से ले कर तिल तक और कान के झुमके से लेकर पायल तक कोई था ना जो बस तुम्हें देखता रहता था अब तुम ही बताओ ना ऐसे कैसे भुलाने दूं तुम्हें कोई तो था ना जिसके नींदों में भी शामिल थी तुम और सुबह की चाय में भी हिचकी में भी तुम थी और रूह में भी अब तुम ही बताओ ना ऐसे कैसे भुलाने दूं तुम्हें–अभिषेक राजहंस ऐसे कैसे भुलाने दूँ तुम्हें