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Shravan Goud
आजकल की नौजवान पीढ़ी बहुत महत्वाकांक्षी और सुलझी हुई है। इनको प्यार की जरूरत है ना कि अच्छा बुरा समझाने की। आजकल की नौजवान पीढ़ी बहुत महत्वाकांक्षी और सुलझी हुई है। इनको प्यार की जरूरत है ना कि अच्छा बुरा समझाने की।
आजकल की नौजवान पीढ़ी बहुत महत्वाकांक्षी और सुलझी हुई है। इनको प्यार की जरूरत है ना कि अच्छा बुरा समझाने की।
read moreRavi Sharma
नहीं कहता सजर कुछ भी, कुछ भी कह नहीं सकता देकर फल ओ गुल भी , जाने काटा गया फिर क्यों?? ।। रवि ।। ©Ravi Sharma हमारे समाज में बिखरते परिवार और गिरती पारिवारिक शुचिता पर लिखा एक शेर जहां सब करने पर और बच्चों को सींचने से ले कर उनको पोषित और फलित करने प
हमारे समाज में बिखरते परिवार और गिरती पारिवारिक शुचिता पर लिखा एक शेर जहां सब करने पर और बच्चों को सींचने से ले कर उनको पोषित और फलित करने प #शायरी
read moreWriter1
विशेष प्रतियोगिता (गद्य) चिंतन भारतीय संस्कृति और वैलेंटाइन सप्ताह *************************** अनुशीर्षक ने पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇👇 भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और मूल आधार है परमार्थ और सबका कल्याण। इसमें लोक कल्याण और लोक हित की भावना सर्वोपरि है। दूसरों क
भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और मूल आधार है परमार्थ और सबका कल्याण। इसमें लोक कल्याण और लोक हित की भावना सर्वोपरि है। दूसरों क #collabzone #yqcollabzone #czप्रतियोगिता
read moreएस पी "हुड्डन"
शुक्रिया! हमारी हिफाज़त के लिए, बहाले अमनो चैन और शराफ़त के लिए। 👈 देखो! सभी ख़ास-ओ-आम, चाल-साज़ नहीं होते। सोचते समझते नौजवान, पत्थर-बाज़ नहीं होते। ✍️"हुड्डन"🙏 #नौजवान
Mishra Kaushal
उस पूरी रात सोचा हमने.... तुम्हे क्या बताऊँ हर नौजवान का यही हाल है।। # हालात #नौजवान
# हालात #नौजवान
read moreAnuj Raj
#AzaadKalakaar कुछ हद से करेंगे, कुछ बेहद से करेंगे, अगर देश को हमारी जरूरत पड़ी तो लड़ाई सरहद पर भी करेंगे।।। ©Anuj Raj नौजवान #AzaadKalakaar
नौजवान #AzaadKalakaar
read moreShahab
मैं उस पीढ़ी से हूं जिसने " नोट बंदी देख ली " " देश बंदी देख ली " " घर बंदी देख ली " बस अपनी बंदी नहीं देखी , अभी तक पता नहीं कहां है वो... ©Shahab #पीढ़ी
Manish Kumar Savita
तुम क्या सोचते हो तुम्हारे संघर्षों को लिखा जाएगा तुम्हारे पैर की पीड़ा तुम्हारे बच्चों कि पुकारें तुम्हारा पटरियों पे मरना कड़ी धूप में, सैकड़ों मील पैदल चलना ये याद रखा जाएगा तो तुम गलत हो असल में ये कुव्यवस्था हम गरीबों को जन्मजात मिली है जिसे हम वर्षों से इसी तरह अपने कंधो पर, पीढ़ी दर पीढ़ी ढ़ोते आ रहे हैं।। #Manish Kumar Savita #पीढ़ी