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Pankaj Nishad
Sangeeta G
Autumn 😢💐😭♥ लिखना तो था कि खुश हूँ तेरे वगैर भी, आँसू मगर कलम से पहले ही गिर पड़े। 😢💐😭♥ ©Sangeeta G 😢💐😭 लिखना तो था कि खुश हूँ तेरे वगैर भी, आँसू मगर कलम से पहले ही गिर पड़े। 😢💐😭 #Shayar #shayari #Hindi #Love #Quote #nojohindi #nojoto❤
Rameshkumar Mehra Mehra
हुसन और इश्क की भी..... कितनी गजब की यारी है.......! एक खूबसूरत परिदां तो...........!! दूसरा लाजवाब शिकारी है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # हुस्न और इश्क की भी,कितनी गजब की यारी है,एक खूबसूरत परिदां तो, दूसरा लाजवाब शिकारी है....
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
वो अभी अभी सरासर बुराई देने लगा है, के अंधों को जब से दिखाई देने लगा है//१ तुझको गुमा भी नही,तेरी बेजा हरकत से,था राज जोपोशीदा,वो अब सबको दिखाई देने लगा है// दस्त उठाकर,वो नजर से गिर गए इतने,के उसके जैसे उसे ही वाह वाही देने लगा है//३ यार तेरी हमदर्दी तो और भी बदतर निकली, के अब तु चर्ब जुबां से दुहाई देने लगा है// मेरे चमन में गुल खिलने लगा है,के खुदा "शमा" की बेटियों को,बेटो पे बड़ाई देने लगा है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #relaxation वो अभी अभी सरासर बुराई देने लगा है,के अंधों को जब से दिखाई देने लगा है//१ तुझको गुमा भी नही, तेरी बेजा हरकत से,था राज जो पोशीद
AJAY NAYAK
नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं । वही रात जो शीतलता देती है उष्ण बनकर मुझ पर टूट पड़ती है । करवटे बदल बदल कैसे कैसे रात कटती है फूल जैसे बिस्तर भी रात भर शूल बन चुभते हैं । फिर जीवन में आती है वही सुबह जिसका रहता है संध्याकाल से ही इन्तजार । एक नई ऊर्जा लिए एक नए विश्वास लिए उठाती है, और खड़ा करती है । फिर से जीवन के नए आयाम स्थापित कर उस ओर हमारे पगों को बढ़ा देती है। हर रोज उठता हूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #bicycleride नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं ।
Mamta Singh
आप सभी को विश्व कविता दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹 अनुशीर्षक में पढ़े 🙏 ©Mamta Singh #WritersSpecial कविता ये हैं क्या!! चंद शब्दों,या कुछ पंक्तियों का समूह। या किसी विरहनी के अंतर्मन से निकली व्यथा। किसी भक्त के वाणी से निकल
Ravendra
Ravendra
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी पँख शासन प्रशासन के अनीतियों से उड़ाने भर रहे है ऊँचाई पर भले हो मगर नैतिकता में दिनों दिन गिर रहे है जनता के हक में दी सारी संस्थाये मगर इस्तेमाल अपने दल और साथियों के लिये कर रहे है दिखावे का संस्कार वा गुन गान धर्म का हो रहा है मगर चाल शकुनि और दुर्योजन की चल रहै है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #thepredator नैतिकता में दिनों दिन गिर रहे है #nojotohindi