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जगदीश कैंथला

उपसर्ग,प्रत्यय #बात

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जगदीश कैंथला

उपसर्ग व प्रत्यय #बात

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Azaad Pooran Singh Rajawat

#togetherforever अधखिला फूल गुलाब का #शायरी

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अध खिला फूल गुलाब का
चाबी है, तेरे -मेरे -दिल की
अधखिला फूल गुलाब का
मैंने तुझे दिया, चाहे तूने मुझे दिया
एक ही गुलाब से,हम दोनों के 
दर दिल के  खुल जाते हैं
नयनों से नयन मिलते
इक दूजे की चाहत में, इश्क कदम बढ़ जाते हैं
श्वासों में घुल जाती है खुशबू,
गुल ए बदन की,
पाकर स्पर्श, रोम- रोम रोमांचित हो जाते हैं 
आलिंगन में पलता अनुराग हमारा
मधुर -मिलन में दो दिल 
 एक नज़र आते हैं
अधखिला फूल गुलाब का 
चाबी है तेरे -मेरे दिल की......।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat #togetherforever अधखिला फूल गुलाब का

Azaad Pooran Singh Rajawat

#और अधखिला फूल गुलाब का# #कविता

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Anupama Jha

"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और 
"आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स

Pawan__P.K__887

उपसर्ग याद करे मिनटों में 🧡🤍💚👮👮💯💯🥰😊 #Society

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vishnu prabhakar singh

जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव। #गुमहोजाताहै #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Y #विप्रणु

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गुम हो जाता है
परस्पर अपेक्षा में
काबिज़ चलन में
उपसत्य जो है

गुम हो जाता है
धन अर्जन में
रीती के टेक में
उपवंश जो है

गुम हो जाता है
विकास के दौर में
संयत के तौर में
उपयोग जो है

गुम हो जाता है
पुत्र के मोह में
मित्र के जोह में
उपहार जो है

गुम हो जाता है
सेवा के भाव में
मेवा के चाव में
उपचित्त जो है जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव।



#गुमहोजाताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Y

Vedantika

उपसर्ग का प्रयोग: अति- बहुत ज्यादा गैरजिम्मेदार- लापरवाह विशेष- खास निसन्देह- बिना किसी शक के

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अति काम मद लोभ में देखो मनुष्य गया हार
देव के भेष में राक्षसों की हो रही जय-जयकार
मानवता का हुआ हनन सब देख रहे है निःशब्द
खुद पर संकट आएगा तो चिल्लाएंगे सब

गैरजिम्मेदार सब हुए एक दूसरे को रहे ताक
कौन सुधारे खुद को घूम रहे सब बेबाक
मान मनोव्वल चाहिए झूठे हो जज्बात
दिल खोल बता रहे एक दूसरे की बात

विशेष बन कर रह रहे दुनिया मे धनवान
गरीब की पीड़ा से रहे हरदम ये अंजान
चलते रहे जो मखमली कालीन पर सदा
कैसे सहे पथरीली जमीन के निशान

निसन्देह इस संसार मे सब नहीं एक जैसे
जीवन की कठिन डगर पार होगी कैसे
प्रश्न बड़ा ही है कठिन उत्तर ना जाने कोई
ईश्वर की शक्ति के आगे राह आसान बन जाई उपसर्ग का प्रयोग:

अति- बहुत ज्यादा
गैरजिम्मेदार- लापरवाह
विशेष- खास
निसन्देह- बिना किसी शक के

Kaleem Ansari

में में न रह तेरे बाद में

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और कितना लिखू तेरी याद में
 कोई दम नहीं मेरी फरयाद में
 मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से
 में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में

डॉ वीणा कपूर "वेणु"...

लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare #कविता

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सागर की लहरों में,
मेरे गांव की नहरों में
सीमाओं के पहरों में,
उथले और गहरों में,
सब ओर तुम्हें खोजती,
मेरी मौन तलाश।
एक दिन तो तुम
मिल ही जाओगे
पूर्ण है विश्वास।
जल सम पारदर्शी
गगन सम समदर्शी
मेरी भोली आस
सागर के किनारे भी
अतृप्त है प्यास।।

©Veena Kapoor लहरों में
नहरों में
गहरों में
पहरों में
अतृप्त प्यास

#sagarkinare
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