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Divyanshu Pathak
17 वीं शताब्दी में भारत दुनियाभर के अमीर देशों में से एक था। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद - मुग़ल साम्राज्य सूबेदार और जागीरदारों के हाथ में चला गया। वे आपस में लड़ने लगे। 1739 में नादिरशाह के आक्रमण और 1761 में अहमदशाह अब्दाली के हमले ने मुग़ल साम्राज्य को तबाह कर दिया। 1857 ई.तक बहादुर शाह जफ़र नाममात्र का सम्राट रहा। मराठों ने मुगलों की सुरक्षा का दायित्व ले रखा था वे पेशवाओं के सहारे अपनी शक्ति का विस्तार कर रहे थे। 14 जनवरी 1761 में अहमदशाह अब्दाली से मराठों ने पानीपत की तीसरी जंग लड़ी जिसमें अहमदशाह अब्दाली जीत गया। अगर मराठे जीत गए होते तो अंग्रेज उनसे लोहा लेने का साहस नहीं करते। ख़ैर- अवध- 1728 ई. में सूबेदार सादत ख़ाँ (मीर मुहम्मद अमीन ) ने मुग़ल साम्रा
yogesh atmaram ambawale
खरे की खोटे ह्याची शाहनिशा न करता, नुसतीच गप्पांची बोंब उठवायची, कुठलेही कारण नसताना एखाद्या गोष्टीची अफवा उठवायची, जरा तरी समजून घ्या अफवा उठवायची म्हणजेच विनाकारण अनेकांची मन दुखवायची. खूप मोठा दोष आहे पसरविणे अफवा, ह्या दोषाला स्वतःच्याच मनात लपवा, सुप्रभात सुप्रभात सुप्रभात कसे आहात मित्र आणि मैत्रिणीनों... आजचा विषय आहे अफवा.. #अफवा हा विषय अबोली मराठे यांचा आहे. चला तर मग सुंदर सुंद
yogesh atmaram ambawale
तुम्ही प्रेमात पडलात की किती ही लपवा, शेवटी पसरायची ती पसरतेच अफवा.. अशी एकतरी व्यक्ती शोधून दाखवा, ज्या व्यक्तीबद्दल कधी पसरली नसेल अफवा. सुप्रभात सुप्रभात सुप्रभात कसे आहात मित्र आणि मैत्रिणीनों... आजचा विषय आहे अफवा.. #अफवा हा विषय अबोली मराठे यांचा आहे. चला तर मग सुंदर सुंद
Swarup Sawant
अभिनयातील संजीवनी ताई अभिनयाने दिली तु नेहमीच आम्हा संजीवनी. रात्रीस खेळ चाले मध्ये चमकली एक चांदनी. वच्छी काकीच पात्र तु खरच जिवंत केलस, या रागीट पण तेवढ्याच प्रेमळ काकीला तु घराघरात पोहोचवलस. कलाकार आणि एक गोड व्यक्ती अशी तुझी ख्याती, देवाजवळ एकच प्रार्थना अशीच निरंतर होऊदे माझ्या या बहिणीची प्रगती. # स्वरुप सावंत # संजिवनी ताई
sandy
*अशीही एक भाऊबीज* चपला काढून जसा सचिन घरात शिरला तशी त्याच्या बायकोने-सुचिताने एक पाकिट त्याच्या हातात दिलं. " काय आहे हे?"त्याने विचारलं
Jangid Damodar
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी