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Priyanka Jaiswal
White शब्द शब्दच सुख,शब्दच दुःख, शब्दच आहे भावना.. शब्दातच आयुष्य आपले, सामावले आहे रे मना... शब्दच हसवतात, शब्दच रडवतात, शब्दच घेतात परीक्षा आयुष्याची.. शब्दाविना व्यर्थ सर्व, नाही मजा जीवन जगण्याची.. शब्दच आहे प्रेम,शब्दच द्वेष आहे, शब्द म्हणजे देवाने,आपल्याला दिलेले वरदान आहे.. म्हणून वापरा शब्द जपून आपले, दुखऊ नका कोणाचे मन.. आयुष्यात परत येणार नाही, निघून गेलेले क्षण.. ©Priyanka Jaiswal #शब्द
ChittaranjanSahoo
“शब्द वो तलवार है जो हृदय को बिना लहूलुहान किए घायल कर देती है शब्द वो विशल्यकरणी है जो पीड़ित हृदय की व्यथा हर लेती है” ©ChittaranjanSahoo #शब्द
kunti sharma
कुछ शब्द सिर्फ तुम्हारे लिए हम तुम्हारे लिए और तुम हमारे लिए ©kunti sharma #शब्द
अमित कुमार
White आपकी नजाकत के सामने क्या है मेरा गजल देखकर आपको झुक जाते हैं सजदे मे कमल। ओ रूप की रानी तेरी तारीफ करूं मैं कैसे तेरी एक मुस्कान पे कुर्बान हजारों ताजमहल।। ©Amit रूप की रानी
लेखक ओझा
रूप की कसौटी पर खरा कोई कितना ही उतर जाए परंतु व्यवहारिकता में सुविचारो के बिना मूढ़ ही जाना जाता है। ©लेखक ओझा #oddone रूप की कसौटी
Khuman Singh
कियां करूं म्हैं थांरा रूप बखाण ओ जीव घणों मुळकै बात करूं थांरे होठां री ओ आंख घणी झुरके चोड़ो ललाड़ चूंखा ज्यूं मिनख बाताळू मान रंग शया पर सांवळो बाळ बिलोवण डोर रदो म्हांरो कळकळै कळी नी जांणे कोळ ©Khuman Singh सौंदर्य , रूप बखाण #beauti
दूध नाथ वरुण
Blue Moon तेरा रूप चमकता है ऐसे,ओ चांद चमकता है जैसे। तू चले तो महके बागों का,हर फूल महकता है जैसे।। ©दूध नाथ वरुण #तेरा रूप चमकता है ऐसे
Neetu Sharma
जिंदगी पहले से ही बहुत कड़वी है और कुछ लोग मिलाकर उसे और करवा बना देते हैं । छोटे-छोटे पल को मिलाकर जिंदगी को मीठा बनाने की कोशिश करते-करते, हम कब इतने करवड़े हो गए पता ही नहीं चला । ©Neetu Sharma #विचार #विचारधारा #शब्द
Ghumnam Gautam
बदलकर रूप अपना, बनके अंतर्नाद आई है फिर अपने पास बैठा हूँ,तुम्हारी याद आई है ©Ghumnam Gautam #alone #अंतर्नाद #रूप #याद #ghumnamgautam
Shashi Bhushan Mishra
जो मेरे गुण-दोष हैं उसके ही अनुरूप मिलेगा फल, वहाँ नहीं होती अनदेखी चलता नहीं है कल बल छल, सबके दिल की सुन लेता है करता दया निधान प्रभु, बड़ा दयालू है जगदीश्वर कहते सभी भक्त वत्सल, रखो साफ दिल के दर्पण को शांति प्रकट हो जाएगी, दिखता तभी रूप जल में जब होती नहीं कोई हलचल, दु:ख की पीड़ा से बचना है तो दिल की आवाज़ सुनो, मुश्क़िल हो जाएगा बचना माया का फैला दलदल, निर्मल मन ज्यों शाख लचकती बचती झंझावातों से, मन का मैल नहीं मिटता है धोने से तन को मलमल, मय कुटुंब सानंद गुजारो जीवन के दिन दुनिया में, काल न बाल करेगा बांका नाम जपो हरि का प्रतिपल, खिलते फूल ज्ञान के 'गुंजन' होता सफल तभी जीवन, सहज भाव लाती कोमलता हृदय बना देती समतल, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिखता तभी रूप जल में#