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Ashish Shukla

विस्मित वेदना

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एक व्यथित व्यथा का दृश्य था
मैं खुद में ही अदृश्य था
रुदन क्रदन और चहुँ ओर चीत्कार था
जैसे चारो ओर मचा हाहाकार था
मैं शांत करा रहा उस रुदन चीत्कार को
पर कोई मुझे सुनने को जैसे न तैयार था
देखा मैंने खुद को जब बेजान पड़े
मेरे अपनो को मेरे चारो ओर हैरान खड़े
नयनो में नीर  प्रमाण लिए....
मैं अब खुद व्याकुल हो उठा
जिज्ञासा बड़ी अपार उठी
कल रात ही तो सोया था
मैं तो मीठे सपनो में खोया था
आँख खुली जब तो सुनने को चीत्कार मिला
मैं अचरज में हो विस्मित अब स्मृतियो के पार चला
जो बेजान पड़ा शरीर नश्वर सा मेरा था
अब समझ गया मैं कितना अकेला था
खैर अब सफर खुद ही तय करना है
इस संसार को छोड़ अब नए संसार की ओर चलना हैं।
अवधि यहां की समाप्त हुई
जितनी होनी थी जीवन की बरसात हुई
खेल कूद जिन गलियारों में बड़ा हुआ 
जिन अपनो के संग हँसता गाता था कभी मैं खड़ा हुआ
आज कंधो पर उनके मैं सज संवर बेजान सा ही चल दिया
सिर्फ एक धुन पर ही सफर शुरू हुआ और अंतिम पड़ाव पर खत्म हुआ
कह अलविदा इस संसार को पंचतत्वों में विलीन हुआ। विस्मित वेदना

कुमार विस्मित

विस्मित मेरा नाम

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K.L. SONKAR

ग़ज़ल- 'रह गयी विस्मित सिया' ------- डॉ के एल सोनकर 'सौमित्र' #lostinthoughts #शायरी

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आवाम की कुछ दुर्दशा थी इस तरीके भग गयी। 
बड़े घरों के पास ही फिर हैण्डपाईप लग गयी।। 
राष्ट्रीयता, राष्ट्रभाषा, कौमियत  के  नाम  पर, 
यह व्यवस्था आस्तीं का सांप बनके ठग गयी। 
उन निठल्लों ने बड़ी  मासूमियत  से कह 
दिया, 
क्या पता किन नामुरादों की  दुआएं लग गयी। 
दिन   में  ही   तारे  नज़र  आने  लगे   हैं 
दोस्तों, 
अंक की अच्छी गणित जम्हूरियत में जग गयी। 
दस  हजार  भूप  ध्वंस  कर  दिए मिलके 
धनुष, 
रह गयी विस्मित सिया वरमाल लेके भग गयी।। 
@ डॉ के एल सोनकर 'सौमित्र' ग़ज़ल- 'रह गयी विस्मित सिया'
------- डॉ के एल सोनकर 'सौमित्र'

#lostinthoughts

Shashvat Shukla

"विस्मित" #mylove On this valentine see the new limits of love and affection Lyrics- Shashvat dEV Recorded at - Summit singh's studio Mus #Poetry

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"विस्मित"  #mylove

On this valentine see the new limits of love and affection

Lyrics- Shashvat dEV
Recorded at - Summit singh's studio
Mus

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

देख चाँद शरमाँ रहा , उसका सुंदर रूप । होता कोई कवि यहाँ , लिखता छंद अनूप ।। १ भारतीय परिधान में , लगती हो क्या खूब । देख देख कर आपको , #शायरी

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देख चाँद  शरमाँ रहा , उसका  सुंदर  रूप ।
होता कोई कवि यहाँ , लिखता छंद अनूप ।। १

भारतीय  परिधान में , लगती हो क्या खूब ।
देख देख कर आपको , हमीं न जाए  डूब ।। २

यौवन ऋतु को देखकर ,  विस्मित होती नार ।
अपनी आभा  में दिखे  ,  उसे सकल  संसार ।।

               महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR देख चाँद  शरमाँ रहा , उसका  सुंदर  रूप ।
होता कोई कवि यहाँ , लिखता छंद अनूप ।। १

भारतीय  परिधान में , लगती हो क्या खूब ।
देख देख कर आपको ,

दि कु पां

मैं विस्मित होता हूं देख तुझको रूक्मणी 'ओ' राधा दोनों ने कृष्ण को ख़ूब चाहा मगर क्यों आधा आधा.. इक देख पाईं चंचलता शरारत उनकी तो दुजी ने भव् #दिनेशपांडेय

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मैं विस्मित होता हूं देख तुझको रूक्मणी 'ओ' राधा
दोनों ने कृष्ण को ख़ूब चाहा मगर क्यों आधा आधा..
इक देख पाईं चंचलता शरारत उनकी तो दुजी ने भव्यता में उनको पाया..
क्या यही नियति है.. आज की भी.. कि शायद सच्चा निश्छल प्यार बचपन वाला ना भाग्य में आता किसी को.. मैं विस्मित होता हूं देख तुझको रूक्मणी 'ओ' राधा
दोनों ने कृष्ण को ख़ूब चाहा मगर क्यों आधा आधा..
इक देख पाईं चंचलता शरारत उनकी तो दुजी ने भव्

Vandana

प्रातःकाल कि असीम शांति लाती मन चित्त में नई क्रांति,,,, भोर की छटा निराली इंद्रियों को विस्मित करने वाली,,,, जादुई पवन बह रही है देह को छ #GoodMorning

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सुप्रभात,, प्रातःकाल कि असीम शांति
लाती मन चित्त में नई क्रांति,,,,

भोर की छटा निराली
इंद्रियों को विस्मित करने वाली,,,,

जादुई पवन बह रही है
देह को छ

Kulbhushan Arora

प्रातःकाल कि असीम शांति लाती मन चित्त में नई क्रांति,,,, भोर की छटा निराली इंद्रियों को विस्मित करने वाली,,,, जादुई पवन बह रही है देह को छ #GoodMorning #YourQuoteAndMine

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भोर का स्नेहिल स्पर्श,
 मन में करे स्नेहिल स्पंदन,
स्नेहिल स्पंदन से सिंचित मन,
स्नेहिल मन से सभी को नमन
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
 प्रातःकाल कि असीम शांति
लाती मन चित्त में नई क्रांति,,,,

भोर की छटा निराली
इंद्रियों को विस्मित करने वाली,,,,

जादुई पवन बह रही है
देह को छ

Vandana

सुबह सुबह का आलम मंत्रमुग्ध कर देने वाला ठंडी ठंडी पुरंवाई हौले हौले बहती जाती,,,,,, सूरज की चंचल किरणें नभ में फैलती जाती नीला आकाश स्वच्छ #सुप्रभात #beautifullife #beautifulsoul #खुबसुरतमुस्कान

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सुप्रभात🌺 सुबह सुबह का आलम मंत्रमुग्ध कर देने वाला
ठंडी ठंडी पुरंवाई हौले हौले बहती जाती,,,,,,

सूरज की चंचल किरणें नभ में फैलती जाती
नीला आकाश स्वच्छ

Prakash Dwivedi

।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और #Poetry #कविता #prakashdwivedi #prakashdwivedipoetry #prakashdwivedibhopal

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।। नारी ~भाग-2।।

नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार ।
गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।।

जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है।
विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।।

वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से ।
वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।।
वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही।
वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।।

शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।। ।। नारी ~भाग-2।।

नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार ।
गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।।

जलधि सी शांति स्वरूपा है, और
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